सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नोएडा में एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर एपेक्स और सियान के मामले में सुनवाई के दौरान नोएडा अथारिटी पर तीखी टिप्पणियां की, कोर्ट ने कहा कि नोएडा एक भ्रष्ट निकाय है इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक से भ्रष्टाचार टपकता है.
कोर्ट ने इस मामले में नोएडा अथारिटी की भूमिका पर भी सवाल उठाए, कोर्ट ने मामले में सुपरटेक और नोएडा अथारिटी की अपीलों पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए एपेक्स और सियान टावरों को गलत ठहराते हुए ढहाने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने सुपरटेक को फ्लैट बुक कराने वालों को पैसा वापस करने का आदेश दिया था साथ ही प्लान सेंक्शन (मंजूर) करने के जिम्मेदार नोएडा अथारिटी के अधिकारियों को प्रासीक्यूट करने (मुकदमा चलाने) का आदेश दिया था.
इस फैसले को सुपरटेक, नोएडा अथारिटी और कुछ फ्लैट खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में एपेक्स और सियान टावर गिराने पर रोक लगा दी थी और यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था.
साथ ही सुपरटेक से कहा था कि जो लोग पैसा वापस चाहते हैं उन्हें पैसा लौटाया जाए, कोर्ट ने एनबीसीसी से दोनों टावरों पर रिपोर्ट मांगी थी, एनबीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों टावरों के बीच जरूरी दूरी नहीं है.
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मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने की, सुनवाई के दौरान नोएडा अथारिटी के वकील रविन्द्र कुमार जब एमराल्ड कोर्ट के एपेक्स और सियान टावर के निर्माण के लिए अथारिटी द्वारा दिए गए सैंक्शन प्लान को सही ठहरा रहे थे.
रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दी गई दलीलों का विरोध कर रहे थे तभी जस्टिस एमआर शाह ने उनके बहस के तरीके पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह आप फ्लैट मालिकों के खिलाफ केस लड़ रहे हैं वह तरीका उचित नहीं है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामले में नोएडा अथारिटी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि नोएडा का काम हैरान करने वाला है, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा जब आपसे रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने बिल्डिंग का सैंक्शन प्लान मांगा तो आपने सुपरटेक से पूछा और उसने मना कर दिया तो आपने बिल्डिंग प्लान नहीं दिया.
अंत में हाईकोर्ट के आदेश पर आपने हाईकोर्ट में प्लान दिया, आप सुपरटेक की मदद ही नहीं कर रहे, आपकी उसके साथ मिलीभगत है, नोएडा एक भ्रष्ट निकाय है, इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक से भ्रष्टाचार टपकता है, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम लोग भी वकील रहें हैं, याचिकाकर्ता, प्रतिवादी और अथारिटी सभी की ओर से पेश हुए हैं.
इसके बाद रविन्द्र कुमार ने एपेक्स और सियान टावर के सैंक्शन प्लान और टावरों के बीच दूरी से संबंधित नियमों, बिल्डिंग ब्लाक आदि का हवाला देना शुरू किया, इस मामले में रेजीडेंट एसोसिएशन की मुख्य दलील यही है कि सुपरटेक ने एपेक्स और सियान टावर बनाने में दो बिल्डिंगों के बीच की जरूरी दूरी के नियम का उल्लंघन किया है.
इसके अलावा सुपरटेक ने उनके लिए तय कामन एरिया और हरित क्षेत्र में कटौती कर उस जगह नये टावर बनाने से पहले उनकी सहमति नहीं ली.
सुनवाई में कोर्ट की मदद कर रहे न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि फायर सेफ्टी के लिहाज से नियम के मुताबिक दो बिल्डिंगों के बीच दूरी में जो बिल्डिंगों सबसे ऊंची होगी उसकी आधी दूरी रहनी चाहिए जैसे कि अगर बि¨ल्डग 18 मीटर ऊंची है तो दो बिल्डिंगों के बीच नौ मीटर की दूरी होनी चाहिए.
गौरव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए दो इमारतों के बीच जरूरी दूरी के बारे में व्याख्या करनी चाहिए, रविन्द्र कुमार ने बिल्डिंग सैंक्शन प्लान देने वाले नोएडा अथारिटी के अधिकारियों को प्रासीक्यूट करने के हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने न तो अधिकारियों को पक्षकार बनाया और न ही उनका पक्ष सुना, अधिकारियों ने एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कांसट्रक्शन कारपोरेशन) के प्रविधानों की बोनाफाइड व्याख्या की है.
सुपरटेक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि सुपरटेक ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है, एपेक्स और सियान टावर का पूरा प्रोजेक्ट अलग है और एमराल्ड कोर्ट के टावर एक में रह रहे लोगों का प्रोजेक्ट प्लान अलग है.
उन लोगों के ग्रीन एरिया को समाप्त नहीं किया गया है बल्कि नियम के मुताबिक जितना ग्रीन एरिया छोड़ा जाना था उससे ज्यादा सेंट्रल पार्क में छोड़ा गया है, उसके पास फायर की एनओसी भी है, कोर्ट में कुछ खरीदारों की ओर से भी पक्ष रखा गया, बहस पूरी होने पर कोर्ट ने सभी को सोमवार तक संक्षिप्त नोट दाखिल करने की छूट देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुपरटेक ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि एपेक्स और सियान टावर में कुल 915 फ्लैट और 21 दुकानें हैं, इसमें शुरू में 633 लोगों ने बुकिंग कराई थी, जिसमें से 248 लोगों ने पैसा वापस ले लिया है.
133 लोगों ने सुपरटेक के दूसरे प्रोजेक्ट में निवेश कर दिया है और 252 लोग अभी बचें हैं जिन्होंने पैसा वापस नहीं लिया है, सुपरटेक को दोनों टावरों से करीब 188 करोड़ रुपये मिले थे जिसमें से उसने 148 करोड़ रुपये वापस कर दिये हैं.