नासा में भारतियों का अच्छा खासा आंकड़ा है। विज्ञान में जीरो की खोज हो, मिशन मंगल जैसी वैज्ञानिक उद्यमता या रसायन विज्ञानं में नोबल प्राइज जीतने तक में भारतीय अव्वल हैं। ये दर्शाता है की भारत ज्ञान का भंडार रहा है। आजादी के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा शुरुआत में भारत में IITS, AIIMS और IIMs, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय स्थापित किये गए फिर उनकी संख्या बढ़ाई गयी।
यूपी में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव सरकार ने कॉलेज, ITIs और पॉलिटेक्निक संसथान खोले। सरकारी अस्पतालों या MBBS मेडिकल कॉलेजों के बेड्स की संख्या और सीटें बढ़ाई। AIIMS के लिए केंद्र को जमींन दीं, दक्षिण में इंजीनियरिंग संस्थानों का चलन रहा। अब ऐसे संस्थानों से एक कदम आगे जाने का समय था। भारत में रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फंडिंग करने, नए स्टार्ट-अप्स को आर्थिक सहायता और ट्रेनिंग देने का समय था।
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देश का एक भी विश्वविद्यालय दुनियां के टॉप 10 छोड़िये 100 में भी नहीं आता। क्या सरकार को इस बारे में कदम नहीं उठाना चाहिए ?
अम्बानी-अडानी अरबों का मुनाफा इसी देश के युवाओं से काम करवा के निकालते हैं। क्या ये देश के सरकारी कॉलेज, स्कूल, विश्वविद्यालयों, के वैज्ञानिक प्रोजेक्ट्स की फंडिंग नहीं कर सकते ? कंपनियों का एक SCR (कॉर्पोरेट रिस्पांसिबिलिटी फण्ड) होता है जिसमें वो उस समुदाय पर खर्च करते हैं जहाँ से पैसा कमाते हैं।
पूरी दुनिया की कम्पनियॉ अपना CSR कॉलेज, यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के लिए खर्च करती हैं ताकि उनके देश के युवा खोज करके अविष्कार कर सकें। लेकिन भारत के यूपी में CSR फंड से सरयू नदी पे राम मूर्ति बन रही है।
इंदिरा गाँधी ने मिनिमम सपोर्ट प्राइस सेटिंग, सरकारी खरीद, फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया की स्थापना कर किसान मजबूत किया, राजीव गाँधी ने कंप्यूटर क्रांति कर भारत को टेक्नोलॉजी दी, अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्राम सड़क योजना के माध्यम से गांवों को शहरों से जोड़ने में मदद की, मनमोहन सिंह ने 1993 में बाजार खोल कर FDI, विदेशी मुद्रा कोष और एक्सपोर्ट बढ़ाया, और कांग्रेस राज में मनरेगा जैसी योजनाओं ने गरीबी उन्मूलन में भूमिका निभाई।
ये सारे निर्णय और कदम भारत के आधार बहुत ढाँचे को हमेशा के लिए सुद्रण करने वाले कदम थे। क्या ऐसी कोई कारगर योजना 2014 के बाद आयी जिससे भारत की आम जनता की आमदनी या धंधे में अचानक वृद्धि दर्ज हुयी हो ?
कोरोना में भारत की बेरोजगारी 47% पहुँचने का अनौपचारिक अनुमान है इसका एक बहुत बड़ा कारन सरकार द्वारा छोटे व् मझोले उधोगों को सहयोग न देना भी है। मुद्रा योजना युवा उद्यमियों को मिलनी थी जबकि बैंक बिना कुछ गिरवी रखे लोन नहीं देते जिसका सीधा कारन सरकार के दोस्त अम्बानी-अडानी और नीरव जैसे लोगों द्वारा बैंको पर डाला गया NPA का भार है।
आज घर खरीदने पर लोन की ब्याज दर रिकार्ड निम्न स्तर पे है क्योंकि इसकी दर RBI ने कम कर दी है लेकिन बैंक की लोन देने की प्रक्रिया आज अधिक जटिल कर दी गयी है क्योंकि बैंक असल में लोन देना नहीं चाहते। उनके ऊपर पहले से मर्जर की तलवार लटक रही है, सारे कागजों की स्क्रूटिनी हो रही है ऐसे में नए एक्सपोजर का झमेला कौन पाले।
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एक तरफ गैस कनेक्शन फ्री तो दूसरी तरफ सिलेंडर की कीमतों में रिकार्ड बढ़ोत्तरी करने से गरीब का चूल्हा नहीं छूट जायेगा। मोदी जी हर हवाई चप्पल पहनने वाले को हवाई जहाज पे बैठने की बातें तो करते हैं लेकिन धरातल पर पेट्रोल प्राइस इतना बड़ा दिया की उसका स्कूटर पर चलना भी मेहेंगा लग रहा है।
हमने सरकार से मुल्लों को टाइट करना माँगा, धर्म माँगा, मंदिर माँगा, कुम्भ माँगा, अजान की परमिशन मांगी… क्या हमने अपने बच्चों के दुनिया की नंबर एक यूनिवर्सिटी मांगी ? कालेज माँगा ? चीन में 46 किमी लम्बे फ्लाईओवर हैं, ऑर्डर के बाद 2 घंटे में माल पहुँचता है तो भण्डारण की कीमत बचती है, उत्पादन तेज होता है और कीमतें दुनियां में सबसे कम हैं और हमारे यहाँ वाराणसी में 100 मीटर लम्बा पुल 1 साल में गिर जाता है और ठेकेदार पर केस तक नहीं होता क्योंकि परिवहन मंत्री गडकरी का रिश्तेदार था।
चीन ने कोरोना में एक नया हॉस्पिटल 28 दिन में बना कर चला दिया और दिल्ली में मुख्यमंत्री कहते हैं की बेड ख़त्म होते ही लोकडाउन लगा देंगे। और कोई ये नहीं कहता की अभी तक बंदोबस्त क्यों नहीं किये ? मोहल्ला क्लिनिक का क्या हुआ ?
दुनियां के करीब हर देश ने अपने नागरिकों, उधोगों को अनुदान दिया लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने उल्टा #PMCareFund में दान ले लिया और जो वेंटिलेटर आये वो फ़र्ज़ी थे। किराये के लिए कह दिया मकान मालिक परेशान न करें, और खुद लोकड़ाउन में भी टेक्स जमा करने के लिए 2 महीने का समय तक नहीं दिया। व्यापारी सिर्फ टेक्स इन्स्पेक्टर की दादागिरी पे 2 महीने की रोक मांग रहे थे कोई छूट भी नहीं।
भारत देश को पढ़ने के लिए कॉलेज चाहिए नौकरी खुद बना लेंगे, अच्छे हॉस्पिटल चाहिए हमारी इम्युनिटी ठीक है, सड़कें चाहिए अनाज और सामान को मंडी में बेचने के लिए पैदा खुद कर लेंगे, व्यापार के लिए माहौल और सही नीतियां चाहिए, PSUs को सपोर्ट चाहिए मुनाफे में वो पहले से हैं, फंडिंग चाहिए खोज खुद कर लेगे, युवाओं को बिना गिरवी रखे लोन चाहिए, पकोड़ा नहीं तलेंगे इनके पास व्यापार के बहुत Ideas हैं। लेकिन इन सब की बजाय हमने सरकार से माँगा क्या ? मंदिर .. धर्म .. हिन्दू सम्राट.. मुल्ले टाइट… पाकिस्तान की बर्बादी …मुगलों को गाली .. इमारतों -शहरों के नाम बदली .. पाषाण काल की सोच लेके भविष्य उज्वल नहीं हो सकता।
लक्ष्मीप्रताप सिंह