राज्य सरकार सीबीआई, एसीबी या एसओजी से जांच कराए तो पता लग सकता है कि शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा और उनके स्टाफ की ओर आरपीएससी के चेयरमैन एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यो को आरएएस, 2018 के इंटरव्यू के दौरान 21 बार फोन क्यो किये गए । व्हाट्सएप्प से किये काल का ब्यौरा नही मिल पाया है ।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक डोटासरा अपने रिश्तेदारों को आरएएस बनवाने के लिए बेहद प्रयत्नशील थे । ज्ञात हुआ है कि सबसे ज्यादा नवनियुक्त सदस्य जसवंत राठी से बातचीत हुई । इनकी नियुक्ति कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और डोटासरा की सिफारिश हुई बताई । इसके अलावा संगीता आर्य जो मुख्य सचिव की पत्नी है, से भी डोटासरा की बातचीत की जानकारी मिली है ।
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जसवंत राठी खुद जाट होने के अलावा डोटासरा और लालचंद कटारिया भी इसी जाति से ताल्लुक रखते है । आरपीएससी के एक जूनियर अकाउंटेंट को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार करना और रिश्वत की राशि बरामद करने से यह तो जाहिर होगया है कि यहां ऊंचे दर्जे का खेल चल रहा था और आगे भी चलेगा ।
इंटरव्यू के दौरान चयन के लिए अनेक लोग नोट से भरी अटेची लिए घूम रहे थे । जयपुर के एक विधायक ने अपनी रेट 25 लाख कर रखी थी । इस राशि मे यह तय नही था कि मेन आरएएस में चयन हो जाये । मेन में चयन का नजराना 30 से 35 लाख था । आरपीएससी से जुड़े एक तथाकथित ईमानदार की भी इंटरव्यू में मनमाने नम्बर दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।
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खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एडीजी एमएन दिनेश भ्रस्टाचारियो को ट्रेप करने और भ्रस्टाचार का भंडाफोड़ करने के लिए लालायित रहते है । आरोपो की जांच सीबीआई से कराना उचित होगा, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके । तब तक वैध या अवैध रूप से चयनित व्यक्तियों को ड्यूटी जॉइन नही कराई जाए अन्यथा ऐसे योग्य व्यक्तियों के साथ घोर अन्याय होगा जो रिश्वत के अभाव में 80 नम्बर इंटरव्यू में लाने से महरूम रहे ।