फ़िलीपींस दक्षिण पूर्व में स्थित एक छोटा देश है, जिसकी राजधानी मनीला है। आज फ़िलीपींस एक गणतंत्र है पर वर्ष 1986 तक यहॉ फरडिनेड मारकोश ( Ferdinend Marcos ) तानाशाह का राज्य था । उसकी पत्नी इमेलडा मारकोस थी ।
मारकोस 1965 में फ़िलीपींस के राष्ट्रपति बने थे पर 1972 मे उन्होंने देश में मार्शल लॉ लगा दिया था । बेनिनो एकविनो ( Benigno Aquino) वहॉ के एक सीनेटर थे जो मारकोस की तानाशाही का हमेशा विरोध करते रहते थे । मारकोस ने उन्हें जेल में डाल दिया । 1980 में जेल में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और इलाज के लिये उन्हें अमेरिका जाने की इजाज़त मारकोस द्वारा दे दी गई। एकविनो ने इलाज के बाद अमेरिका में ही शरण ले ली और वहॉ के बोस्टन शहर में रहने लगे ।
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1983 के शुरू में उन्होंने रिचर्ड ऐटनबोरो द्वारा गॉधी जी पर बनाई गई फ़िल्म ‘ गॉधी ‘। देखी । फ़िल्म देखकर उनपर गॉधी जी की जीवनी का गहरा असर पड़ा । वह सोचने लगे कि एक अकेला व्यक्ति दूसरे देश में अन्याय और शोषण के ख़िलाफ़ खड़ा होकर अहिंसक तरीक़े से लड़ सकता है और जीत सकता है तो मैं क्यों नहीं लड़ सकता। उन्होंने तत्काल निर्णय किया कि वह अपने वतन लौटेंगे और वहीं पर रहकर मारकोस की तानाशाही और ज़ुल्मों से टक्कर लेंगे। उन्होंने अपने समर्थकों को भी यह संदेश भेज दिया कि वह 21 अगस्त 1983 को वतन आ रहे है । एयरपोर्ट पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ जमा थी । एकविनो जैसे ही जहाज़ से उतर कर गाड़ी की तरफ़ पुलिस सुरक्षा में जा रहे थे तो उनपर अज्ञात हमलावरों ने गोलियों की बाछौर कर दी और वह वहीं मार दिये गये । उनकी इस तरह हत्या किये जाने से पूरे फ़िलीपींस में विद्रोह की आग भड़क उठी। वहॉ की जनता ने उनकी पत्नी कोराजोन एकविनो को अपना नेता बनाकर मारकोस की तानाशाही के विरूद्ध अहिंसक तरीक़े से लड़ाई लड़नी शुरू कर दी ।
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मारकोस ने फिर चाल चली । उसने राष्ट्रपति के चुनाव कराने की घोषणा कर दी जो 1965 से अब तक नहीं हुऐ थे। मारकोस के मुक़ाबले में कोराजोन एकविनो को जनता ने अपना उम्मीदवार बनाया। चुनाव मे मारकोस ने जमकर धांधली करवाई और चुनाव जीत गया । जनता ने इस धांधली के विरूद्ध हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिये और पूरे फ़िलीपींस में मारकोस को हटाने के लिये बग़ावत शुरू हो गई । जनता के इन तेवरों के आगे मारकोस की एक न चली और उसे अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा । कोराजोन एकविनो राष्ट्रपति बन गई और फ़िलीपींस में फिर से लोकतंत्र बहाल हो गया ।
गॉधी जी के जीवन से हर देश प्रेरणा आज भी प्रेरणा लेता है । जहॉ भी शांति और जन अधिकारों की बात होती है वहॉ गॉधी जी को ही याद किया जाता है । विडंबना यह है कि गॉधी जी के देश में ही लोग उन्हें वह सम्मान नहीं देते जो देना चाहिये ।