नई दिल्ली : किसान आंदोलन हर गुजरते दिन तेज होता जा रहा है। आज बावल 84 से हजारों की संख्या में किसान साथी अपना समर्थन देने के लिए शाहजहांपुर बॉर्डर पर आए। कई किलो मीटर तक ट्रक्टरो की लाइन, किसान साथियों का जोश, व उत्साह देखते ही बन रहा था। शाहजहांपुर बॉर्डर पर फूलो से उनका स्वागत योगेंद्र यादव, संस्थापन, जय किसान आंदोलन संस्थापक और दीपक लाम्बा, महासचिव जय किसान आंदोलन, किसान नेता अमराराम, राजाराम मील, प्रेमराम ने अन्य किसान नेताओं के साथ मिल कर किया ।
योगेंद्र यादव ने इस मौके पर कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं किसान आंदोलन अब ठंडा हो गया है वो एक बार इस दृश्य को जरूर देख लें। कैसे हजारों किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर आ रहे हैं।
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इस मौके पर जय किसान आंदोलन के संस्थापन योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन ने सर्दी देखी, गर्मी देखी, आंधियों का सामना भी किया, और किसान अब प्रधानमंत्री के अहंकार का सामना करने के लिए भी पूरी तरह तैयार हैं। किसान इस आंदोलन में जीत हासिल किए बिना घर वापस नही जाएगा।
योगेंद्र यादव ने आगे कहा कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर जो टेंट लगे हुए हैं उनका खूंटा हरियाण-पंजाब और राजस्थान के गांव-गांव में लगा हुआ है। तपती गर्मी भी किसानों को धरना स्थल पर आने से नही रोक पा रही है। मनोबल मजबूत है।
जय किसान आंदोलन के महासचिव दीपक लाम्बा ने कहा कि आंदोलन बिना अपनी मांगे मनवाए ठंडा नही होगा, यह वो आंदोलन है जिसे इतिहास में इसके जस्बे के लिए याद रखा जायेगा, आज जब किसान साथी कई किलो मीटर लंबा मार्च करके गाने-बाजे के साथ शाहजहांपुर बॉर्डर पर जुड़ रहे हैं तो यह इस बात के संकेत है कि किसान का जस्बा किसी भी सरकारी चाल से कम नही होगा। ”
इस मौके पर अमराराम जी ने कहा कि सात माह के आंदोलन में किसानों का आत्मसम्मान बढ़ा है। वहीं जात-पात धर्म से ऊपर उठकर एकता के सूत्र में बंध कर किसान अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हुआ है।
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अब समय सरकार के नुमाइंदों का अहंकार तोड़ने का है। तीनों कृषि कानून जब तक वापस नहीं होते, आंदोलन चलता रहेगा। जब आंदोलन शुरू हुआ तब से 450 संगठन एक साथ इस आंदोलन को चलाए हुए हैं वे तब 450 संगठन थे और आज भी 450 संगठन एक साथ चल रहे हैं। सरकार द्वारा इस एकता को तोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। किसानों ने आंदोलन में शांति और सजगता के साथ चलना सीख लिया है। अब इस आंदोलन में किसान की जीत निश्चित है।