फ़रवरी 2012 में पल्स पोलियो के तहत एक दिन में 17 करोड़ से अधिक बच्चों को पोलियो की दो बूँद दवा पिलाई गई थी। दस साल बाद गोदी मीडिया के प्रोपेगैंडा और करोड़ों रुपये के विज्ञापन के सहारे सरकार पूरा ज़ोर लगाती है और एक दिन में 86 लाख टीके ही लगा पाती है। पोलियो अभियान की आलोचना करने वाले इसके चरण की धूल भी नहीं छू सके।
वो भी तब जब छह महीने से ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान चल रहा है। उसके बाद भी पूरा दिन बीत जाने के बाद एक करोड़ की संख्या नहीं छू सके। तुर्रा ये कि ये दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान और विश्व रिकार्ड बन गया है।
कोई भी टीका अभियान हो, क्या यूपी में सफल हुए बिना रह सकता है? 23 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कितना टीका लगा? हमारे सहयोगी आलोक पांडे ने रिपोर्ट किया है कि सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि अब से हर दिन छह लाख डोज़ रोज़ लगेगा। अभी तक कि जो संख्या है वह पौने सात लाख के क़रीब है।
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बीजेपी यूपी को ब्रांड की तरह पेश नहीं करेगी। नहीं बताएगी कि दुनिया के कई देशों से बड़े इस प्रदेश में एक दिन में पौने सात लाख ही टीके क्यों लगे? क्या यह रिकार्ड तोड़ कामयाबी है? यूपी में आबादी के दो प्रतिशत से भी कम को दोनों डोज़ लगे हैं। छह महीना बीत गया है।
यूपी से छोटा राज्य है आंध्र प्रदेश। यहाँ पर रविवार के दिन एक दिन में तेरह लाख से अधिक डोज़ लगा है। लेकिन आज क्या हुआ, वहाँ तो मात्र 48,000 डोज़ ही लगा। क्या टीका ख़त्म हो गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि एक दिन सारी ताक़त लगा कर, सारा टीका लगाकर रिकार्ड बना लिया गया और अगले दिन सब ठंडा पड़ गया।
मध्य प्रदेश में पूरी सरकार लग गई। सोलह लाख डोज़ लगा है। एक और बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक ने दस लाख से अधिक डोज़ लगाया है। बीजेपी शासित राज्यों में मध्य प्रदेश और कर्नाटक को छोड़ किसी का प्रदर्शन सामान्य से बेहतर नहीं है। ऐसा नहीं बताता है कि आज कोई रिकार्ड तोड़ अभियान चल रहा था।बिहार, गुजरात, हरियाणा में डोज़ की संख्यापौने पाँच लाख से पाँच लाख डोज़ के बीच है।
हिमाचल प्रदेश में तो एक लाख डोज़ भी नहीं लगे हैं। उत्तराखंड में सवा लाख डोज़ भी नहीं लगे हैं।असम में 3, 30,707 डोज़ लगे हैं। पूर्वोतर के राज्य मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय और नागालैंड में कुल पचास हज़ार डोज़ भी नहीं लगे हैं। यहाँ केवल अरुणाचल प्रदेश में 12,892 टीके लगे हैं। इस लिहाज़ से यह आरोप भी ठीक से नहीं बैठ पाएगा कि विपक्षी राज्यों ने कम सहयोग किया। अपने यहाँ कम डोज़ लगाए। कई बीजेपी राज्यों का प्रदर्शन भी रिकार्ड लायक़ तो बिल्कुल नहीं रहा।
भारत जैसे देश में एक दिन में टीका लगाने का यह सबसे ख़राब रिकार्ड है। भारत में एक दिन में 17 करोड़ बच्चों को पोलिंग की दो बूँद पिलाने का रिकार्ड है। आज की मामूली कामयाबी को बड़ा बनाने के लिए आँकड़ों को तरह तरह से सजाया जा रहा है।
इसे बड़ा बताने के लिए एक करोड़ से कम की आबादी वाले देश गिने जा रहे हैं कि न्यूज़ीलैंड की आबादी से डेढ़ गुना ज़्यादा लोगों को आज टीका लगा है।कम से कम भारत कोरोना से लड़ने में न्यूज़ीलैंड से तो तुलना न ही करे तो बेहतर होगा। न्यूज़ीलैंड की गिनती कोरोना से निपटने वाले सफल देशों में होती है।
आज का अभियान पूरी तरह फ्लाप रहा। यह अभियान धूल झोंकने से ज़्यादा कुछ नहीं है। इसके विज्ञापन पर कितना पैसा खर्च हुआ। हर अख़बार के पहले पन्ने पर विज्ञापन था जिसमें मोदी जी को धन्यवाद था। आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में टीका मुफ़्त दिया जा रहा है। भारत में छह महीने बाद शुरू हुआ है, फिर भी सभी को मुफ़्त नहीं दिया जा रहा है।
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25 प्रतिशत टीका प्राइवेट अस्पतालों को दिया जा रहा है। आपको प्रतिशत में बताया जाता है लेकिन असल संख्या कितनी है, नहीं बताया जाता। सरकार नहीं बताती कि कितने लोगों ने पैसे देकर टीका लिए हैं। आज के 86 लाख में कितने लोगों ने पैसे देकर डोज़ लिए हैं।
आबादी का एक हिस्सा 780 और 1410 रुपये में टीके का एक डोज़ लगाकर बेवकूफ बन रहा है। वह जान रहा है कि पैसे देकर टीका लिया है लेकिन ख़बर पढ़ रहा है कि भारत में दुनिया का मुफ़्त टीका अभियान चल रहा है।
सवाल पूछा जा रहा है कि छह महीने में आपने कितना कम टीका लगाया है, आप क्या कर रहे थे, तो जवाब दिए जा रहा है कि हमने छह दिन बाद एक दिन में सबसे अधिक टीका लगाने का रिकार्ड बनाया है।
मूर्खता की भी हद होती है। क्या इस तरह से जनता को बेवकूफ बनाने का खेल होगा। हफ़्ते भर भूखा रखो और एक दिन दस हज़ार लोगों को खाना खिला कर ढिंढोरा पीटो को एक दिन दिन में दस हज़ार लोगों को भोज कराया गया।