नई दिल्ली : डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िय़ा ने कहा कि यह आरोप किसी चंपत राय पर नहीं है, बल्कि हजारों साल से चले आ रहे हिंदुओं के आंदोलन की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है.
डॉ. तोगड़िया ने कहा कि आरोपों की सफाई में जो स्पष्टीकरण दिया जा रहा है, उससे सहमत होना मुश्किल है, कई तकनीकी सवाल खड़े हो रहे हैं और कुल मिलाकर यह विश्वास पर काफी बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है.
डॉ. तोगड़िया ने कहा कि वह राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं, मंदिर निर्माण में उनकी भी ‘गिलहरी’ की तरह भूमिका है, जब वह विहिप के अध्यक्ष थे तो दिल्ली के आरके पुरम स्थित कार्यालय में खुद के और किसी कमरे में एसी तक नहीं लगने दिया था.
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क्योंकि विश्व हिन्दू परिषद जन मानस के सहयोग से चलता था, अशोक सिंघल के दौर से खुद के समय तक हम ऐसा विश्वास बना पाए थे कि लाखों-करोड़ों लोगों ने जीवन प्राण, हजारों संस्थाओं ने त्याग किया, लोगों ने कारसेवा की और करोड़ों लोगों ने चंदा दिया, आज इस विश्वास पर संकट खड़ा हो गया है.
प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि आज वह उस शीर्ष पद पर नहीं हैं, न ही उनके पास ऐसी कोई जिम्मेदारी है कि मामले की जांच कराकर, भरोसा सुनिश्चित करते हुए हिंदुओं को जवाब दे सकें, विश्वास का संकट दूर कर सकें, उन्हें इसकी भी बड़ी पीड़ा है.
तोगड़िया ने कहा कि भगवान श्रीराम ने एक धोबी के तंज पर मर्यादा की रक्षा के लिए अपनी पत्नी सीता माता को छोटे भाई लक्ष्मण से वन में छुड़वा दिया था, हमें इसे याद रखना चाहिए, यह किसी एक व्यक्ति या संस्था से जुड़ा मामला नहीं है.
यह 100 करोड़ हिंदुओं की आस्था और विश्वास से जुड़ा मसला है, उन्होंने कहा कि वह 32 साल तक जिस संस्था से जुड़े रहे और 22 साल तक जिसका नेतृत्व किया, उस पर यह सवाल असहनीय है.
डॉ. तोगड़िया ने कहा कि इस पूरे मामले में कई तकनीकी और वाजिब सवाल खड़े होते हैं, पहला सवाल तो यही है कि जब भी कोई ट्रस्ट किसी जमीन आदि की खरीद करता है, उसके लिए प्रस्ताव करना पड़ता है.
सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि एक जमीन की रजिस्ट्री के बाद दस मिनट के भीतर ही दूसरी रजिस्ट्री की जा रही है, आखिर ट्रस्ट में प्रस्ताव कब आया? कब उस खरीद-फरोख्त की अनुमति ली गई?
दूसरा सवाल, सर्किल रेट से कम पर रजिस्ट्री कैसे हुई, सुल्तान अंसारी ने सर्किल रेट से कम पर रजिस्ट्री करके सरकार से चीटिंग की? यह चीटिंग केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्ट ने कैसे होने दी?
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तीसरा सवाल, इस सौदे को तीन-चार साल पहले हुआ बताया जा रहा है, पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में जमीन जायदाद के भाव गिर रहे हैं, लोगों के पास पैसा नहीं है,
मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली समेत हर जगह पिछले साल से दो करोड़ की संपत्ति इससे काफी कम में मिल रही है, फिर 2021 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने दो करोड़ रुपये की इसी जमीन को पांच मिनट बाद ही नौ गुना अधिक कीमत पर 18.8 करोड़ में कैसे खरीद ली? पैसे भी पांच मिनट के भीतर ऑनलाइन ट्रांसफर हो गए?