नई दिल्ली : दिल्ली में राशन की होम डिलीवरी योजना पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीजेपी फिर आमने-सामने हैं, इस योजना पर एक दिन पहले ही बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा रोक लगाए जाने का आरोप लगाने के बाद आज यानी रविवार को केजरीवाल ने पूछा कि जब पिज्जा और बर्गर की होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं?
इस सवाल के साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वह राज्य सरकार को घर-घर राशन पहुँचाना शुरू करने दें, उन्होंने तो केंद्र सरकार से यहाँ तक अपील की कि कोरोना को देखते हुए इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
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मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज ऑनलाइन ब्रीफिंग में पूछा कि आख़िर इस योजना के शुरू होने के कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने क्यों रोक लगा दी.
यदि एक नज़र से देखा जाए तो मुख्यमंत्री केजरीवाल के इन तर्कों से किसी को भी शायद ही आपत्ति हो, तो फिर केंद्र क्यों आपत्ति कर रहा है? दरअसल, केंद्र सरकार की भी अपनी एक दलील है, और इसी को लेकर विवाद रहा है.
केंद्र का तर्क है कि दिल्ली सरकार इसके लिए स्वतंत्र है कि वह अपनी प्रस्तावित योजना के लिए अधिसूचित तय दर पर अनाज खरीदे और उस योजना को लागू करे, केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कहना है कि लेकिन दिल्ली सरकार ऐसा नहीं कर रही है.
वह चाहती है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत पीडीएस यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ‘बेपटरी’ कर दे और इसके तहत काफ़ी ज़्यादा सब्सिडी पर राज्यों को मिलने वाले अनाज का उस योजना के लिए इस्तेमाल करे.
यानी एक तरह से कह सकते हैं कि केंद्र सरकार की आपत्ति इस बात को लेकर है कि केंद्र सरकार के पैसे के अनाज का इस्तेमाल राज्य सरकार अपनी योजना में क्यों करे, अरविंद केजरीवाल ने भी कुछ ऐसी ही बातें कही हैं, उन्होंने दावा किया कि उनको कुछ अधिकारियों ने कहा है कि केंद्र सरकार के राशन का इस्तेमाल राज्य की योजना में कैसे हो सकता है, हालाँकि केजरीवाल यहाँ तर्क रखते हैं कि कोरोना जैसे संकट में आपस में लड़ना नहीं चाहिए और मिलकर साथ काम करना चाहिए.
केजरीवाल ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने डोर स्टेप डिलीवरी के लिए कम से कम पाँच बार केंद्र सरकार को लिखा है, लेकिन उन्हें इस पर सहमति नहीं मिल पाई.
इसके जवाब में बीजेपी के प्रवक्त संबित पात्रा ने ‘एएनआई’ से कहा, ‘केजरीवाल जी ने आज बात रखी है कि मोदी जी दिल्ली की गरीब जनता को उनके अधिकार से वंचित रख रहे हैं और घर-घर राशन रोकने की कोशिश कर रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है, मोदी जी नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट और पीएम गरीब कल्याण योजना द्वारा दिल्ली के ज़रूरतमंदों को राशन पहुँचा रहे हैं.
दोनों पक्षों की दलीलें ऐसी हैं कि यह पूरा मामला राजनीतिक लड़ाई का हो गया लगता है, दिल्ली सरकार की इस राशन योजना के नाम को लेकर काफ़ी पहले से केंद्र और दिल्ली सरकारों के बीच विवाद है, मार्च महीने में दिल्ली सरकार की इस योजना के नाम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत मिलने वाले अनाज को लेकर केंद्र ने आपत्ति की थी.
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तब केजरीवाल सरकार ने इस योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना’ रखा था, लेकिन केंद्र की इस आपत्ति के बाद केजरीवाल सरकार ने इसका नाम बदल कर डोर स्टेप राशन डिलीवरी कर दिया, इसके बाद दिल्ली सरकार ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा उठाई गई सभी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है.
लेकिन इस पर केंद्र की तरफ़ से शनिवार को प्रतिक्रिया तब आई जब केजरीवाल ने केंद्र पर योजना को रोकने का आरोप लगाया, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने शनिवार को कहा, ‘भारत सरकार ने दिल्ली सरकार से उस तरह से राशन नहीं बांटने के लिए कहा है जिस तरह से वे चाहते हैं.
वे किसी अन्य योजना के तहत ऐसा कर सकते हैं, केंद्र अपने अधिसूचित दरों के तहत इसके लिए अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराएगा, मुद्दा कहाँ है? एनएफ़एसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून) के तहत मौजूदा अखिल भारतीय योजना को बाधित करने पर जोर क्यों?
इस पूरे विवाद के बीच ही अब अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि कोरोना के समय में राशन की दुकानों पर भीड़ लगाने से बेहतर है कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की जाए, इसके लिए वह तर्क रख रहे हैं कि पिज्जा-बर्गर की डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं.