राज्य सभा में स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने एक लिखित जवाब दिया है जिसमें बताया है कि दूसरे देशों में कोरोना का चेन तोड़ने के लिए टीका बाहर भेजा गया है ताकि वहाँ के लोग जब भारत आएँ तो यहाँ संक्रमण न फैले।
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मतलब एक करोड़ टीका लेकर मोदी सरकार दूसरे देशों में कोरोना चेन तोड़ने की फ़िक्र कर रही थी। हंसी आ रही है। वैसे भी जब पोल खुली है तो सरकार इस बात को प्रमुखता से कहने लगी है कि सारा टीका निर्यात नहीं था । कंपनियों का अपना करार था जिसके तहत साढ़े पाँच करोड़ से अधिक टीका निर्यात हुआ।
बाक़ी एक करोड़ से कुछ अधिक मदद के तौर पर गया। लेकिन ग्लोबल चेन तोड़ने वाला लॉजिक एकदम यूनिक है। वैसे ब्रिटेन और अमरीका ने किसी को टीका निर्यात नहीं किया। पहले अपनी आबादी को सुरक्षित किया। उसके बाद अमरीका और कनाडा कह रहे हैं कि उनके पास जो अतिरिक्त है उसे दुनिया के साथ साझा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि पीएम केयर के तहत दिए गए जिन वेंटिलेटर का इस्तमाल नहीं हो रहा है उसकी ऑडिट की जाएगी। एक साल से सवाल उठ रहा है। बात सिर्फ़ मशीन देने की नहीं है। इसे चलाने और चलाते रहने का ढांचा और बजट भी नहीं दिया होगा।
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पीएम केयर के तहत जो वेंटिलेटर दिए गए हैं वो कई जगहों पर घटिया होने के कारण नहीं चलाए जा रहे हैं। इसे लेकर एक साल से रिपोर्ट छप रही है। उम्मीद करना बेकार है कि उसकी ईमानदारी से जाँच होगी। लोग ख़राब वेंटिलेटर के कारण भी मरते हैं। इस देश में किसी की जान की क़ीमत नहीं है। पोस्टर लगाने पर जेल होती है।