नई दिल्ली : दिल्ली असंगठित निर्माण मजदूर यूनियन ने दिल्ली सरकार पर छल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों को कोरोना महामारी की पाबंदियों के कारण आर्थिक मदद दी जानी चाहिए।
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यूनियन के महासचिव अमजद हसन ने बुधवार को यहां कहा कि दिल्ली सरकार मजदूरों को वित्तीय मदद देने के दावा करने वाले बड़े बड़े विज्ञापन प्रकाशित कर रही है जबकि यह राशि राज्य सरकार की नहीं है।
यह धन दिल्ली भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के कोष से निर्माण क्षेत्र के केवल पंजीकृत मजदूरों को ही मिल रहा है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने अलग से कोष प्रदान नही किया है।
हसन ने कहा कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के समस्त मजदूरों को 5000 रुपये की सहायता तुरंत दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लगातार देखा जा रहा है कि विज्ञापन से बोर्ड का नाम हटा दिया जाता है और दिल्ली सरकार अपनी पीठ थपथपाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम चुनाव के मद्देनजर दिल्ली सरकार यह सब कर रही है।
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उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जो सहायता निर्माण मज़दूरों को दी गई थी वह यूनियनों के माँग, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रदान की गयी थी और इस बार भी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर भोजन और आवास की व्यवस्था तथा अन्य मदद दी गयी है।
पंजीकृत मज़दूरों एवं उनके परिवार के लिए 10,000 रुपये तक की चिकित्सा सहायता का प्रावधान भी पुरानी व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में मजदूरों के कल्याण संबंधी कोई फैसला श्रम कल्याण बोर्ड की सहमति से ले ले लेना चाहिए इसके लिए एक त्रिपक्षीय व्यवस्था की गई है, उसका पालन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली श्रम कल्याण बोर्ड को अपंग, निष्क्रिय एवं मृतप्राय कर दिया गया है।