दूसरे के प्रेम में, दूसरे के भोजन में छिप कर झांकने वाले अब दूसरों की बातचीत भी छिप कर सुनने लगे हैं। मेरे सवालों से भाग कर छिप जाने वाले छिप कर मेरी बातचीत सुनते हैं। इतना प्यार तो कोई महबूबा भी नहीं करती है।
यू ट्यूब पर भक्त बनर्जी के साथ आज शाम चार बजे बातचीत होती। जिन लोगों को कल के बाद से वायरल कराने के लिए कुछ नहीं मिला है, उनका स्वागत है। इस बातचीत को आप छिप कर भी सुन सकते हैं और सामने से भी।
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गोदी मीडिया के पत्रकारों को टाइम काफ़ी अच्छा चल रहा है। उनका काम है प्रधानमंत्री के ट्विट को री-ट्विट करना और उनकी ख़ुशामद में अपनी ट्विट को उनके हैंडल से टैग करना। सरकार के इशारे पर टैग एंड ट्विट करने वाले डिस्को डांसर पत्रकारों की मौज है।
बिना काम के सैलरी मिलना इस दुनिया में बहुत कम लोगों के नसीब में है। मेरी इस बात पर कमेंट बाक्स में गाली देने वालों को किसी ने बता दिया है कि उनकी गालियों से बाक्साइट बनता है। जिसे चाय के पानी में उबाल कर अलमुनियम बनता है। बस तब से वे इसी में लगे हैं। कृपया आप इसे न आज़माएँ।
गुजरात में एक मैसेज वायरल होने लगा कि बीजेपी के सी आर पाटिल बीजेपी के दफ़्तर में रेमडेसिवियर बाँट रहे हैं। गुजरात की जनता को यह दवा नहीं मिल रही है।
सी आर पाटिल को दवा बाँटने का लाइसेंस कहां से मिला है, किस नियम के तहत उनके पास इतनी दवा आई है, क्योंकि इतनी दवा एक आदमी ख़रीद भी नहीं सकता, इस कंत तो रेमडेसिवियर के डोज़ का डिटेल हर समय सरकार को देना होता है लेकिन बीजेपी के सांसद तो हर लॉजिक से ऊपर हैं।
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जब यह सवाल गुजरात के मुख्यमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप सी आर पाटिल से पूछिए। दैनिक भास्कर के गुजराती अख़बार दिव्य भास्कर ने सी आर पाटिल का नंबर ही छाप दिया है कि जनता उनसे पूछ ले। भक्त बनर्जी एक आश्रम बनाना चाहते हैं। जबसे उन्हें पता चला है कि एक बाबा
हर बात में डायमेंशन बोल कर लोगों की बचन का आयाम समेट लेता है तब से भक्त बनर्जी उस बाबा की तरह बहुआयामी बनने का असफल प्रयास कर रहे हैं। भक्त बनर्जी तरह तरह के आयाम का व्यायाम भी करते हैं मगर काम नहीं बन पा रहा है।
भक्त बनर्जी चाहते हैं कि आयामी बाबा पर दौलत लुटाने वाली जनता उन पर दौलत लुटाए। लेकिन एक से ही इतना लुटने के बाद जनता के पास भी तो कुछ नहीं बचता है।