नई दिल्ली : दुर्गेश पाठक ने कहा कि, भाजपा ने रानी झांसी फ्लाईओवर बनाने में 546 का घोटाला किया। 175 करोड़ के इस फ्लाईओवर को भाजपा ने 724 करोड़ में बनाया। जबकि दिल्ली सरकार ने 302 करोड़ के शास्त्री पार्क फ्लाईओवर को लगभग ढाई सौ करोड़ में बनाया।
एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा भाजपा ने सरकारी एजेंसी के बजाय भाजपा नेताओं और स्थानीय इंजीनियरों से ज़मीन अधिकरण कराया। भाजपा ने लगभग 10 करोड़ रुपए बिना किसी अनुमति के खर्च किए।
उन्होंने कहा दिल सरकार ने पिछले 10 फ्लाईओवर के निर्माण में लगभग 508 करोड़ बचाए हैं। मैं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को चुनौती देता हूं वो इस रिपोर्ट को खुद मीडिया के सामने पढ़कर दिखाएं।
पाठक ने कहा कि, सबसे पहले तो मैं भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी के अंदर कुछ जो ईमानदार अधिकारी हैं, उनका धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने ऐसे दस्तावेज हमारे पास पहुंचाने की कृपा की है जिससे यह साफ हो जाता है कि भाजपा ने दिल्ली की जनता के प्रति, देश के संविधान के प्रति किस प्रकार से अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
इन दस्तावेजों के माध्यम से हम एक बहुत बड़ा मुद्दा आपके सामने ला सकते हैं। हम लोगों ने रानी झांसी फ्लाईओवर के बारे में बहुत कुछ सुना है और बहुत समय से बहुत सारी बातें कहीं गई है। कुछ लोगों ने उन बातों पर यकीन किया तो कुछ लोगों ने यकीन नहीं किया।
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लेकिन आज झांसी फ्लाईओवर की ऑडिट रिपोर्ट हमारे हाथ लगी है। यह ऑडिट रिपोर्ट आज हम आपके सामने पेश करेंगे और मैं भाजपा के नेताओं से कहना चाहता हूं कि इस ऑडिट रिपोर्ट के होते हुए आप अपने सच को छुपा नहीं सकते हैं। यह ऑडिट रिपोर्ट 55 से 60 पन्नों की है जिसे हम संक्षेप में आपके सामने प्रस्तुत करेंगे।
दुर्गेश पाठक ने कहा, इस फ्लाईओवर के निर्माण का निर्णय 1995 में लिया गया था, लेकिन यह फ्लाईओवर 2018 में बनकर तैयार हुआ। इस अनुसार इस फ्लाईओवर को बनने में लगभग 24 साल लग गए।
जब इस फ्लाईओवर के निर्माण का फैसला लिया गया तो इसके टेंडर की लागत 175 करोड़ तय की गई, लेकिन इसे बनने में 724 करोड़ रुपए लगे। तो भारतीय जानता पार्टी ने लगभग 549 करोड़ रुपए अधिक लगाए। भारतीय जनता पार्टी ने यह पैसा चोरी कर लिया।
एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा, जब आप 54 पन्नों की इस ऑडिट रिपोर्ट को पढ़ेंगे तो इसमें 70 आपत्तियां जताई गई हैं। तो लगभग लगभग हर पन्ने पर एक से ज्यादा आपत्ति जताई गई है।
70 आपत्तियां बताना मुश्किल होगा इसलिए मैं आपको कुछ चुनिंदा आपत्तियां पढ़कर बताऊंगा, जिससे आप इसे अच्छे से समझ सकेंगे। सबसे पहली आपत्ति यह है कि जब कोई सरकारी निर्माण होता है तो वह सरकारी निर्माण किस जगह होगा, उसकी जमीन कहां होगी, तो उस ज़मीन के अधिकरण के लिए एक खास सरकारी एजेंसी होती है।
दुर्भाग्य से या यूं कहें कि ज़्यादा समझदारी के कारण रानी झांसी फ्लाईओवर की ज़मीन का अधिकरण किसी सरकारी एजेंसी ने नहीं किया बल्कि भाजपा के नेता और जो लोकल इंजीनियर थे, उन्होंने बैठकर एक-एक व्यक्ति के साथ व्यक्तिगत रूप से डील किया।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने हर एक ज़मीन के अधिकरण के लिए एक नया रेट लगाया, एक नया सिस्टम बनाया और हर जमीन को खरीदने में पैसे खाए। जबकि यह पूरे हिंदुस्तान में कभी नहीं हुआ कि इंजीनियर और नेता बैठकर जमीन का अधिकरण कर रहे हैं। असल में यह काम ज़मीन अधिकरण एजेंसी का होता है।
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दुर्गेश पाठक ने कहा, दूसरी आपत्ति यह है कि इस जमीन के बीच में एक धार्मिक स्थान था जो कि सरकारी जमीन पर बना हुआ था। जब उसका अधिकरण किया गया तो उसके लिए अभिषेक गुप्ता नाम के एक व्यक्ति को 26 करोड़ रुपए दिए गए।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार इस अभिषेक गुप्ता की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है और न ही ये ज़मीन किसी अभिषेक गुप्ता की थी। असल में ये ज़मीन सरकारी थी।
जब यह जमीन सरकार की थी तो यह 26 करोड़ रुपए अभिषेक गुप्ता को क्यों दिए गए, इसकी कोई जानकारी नहीं है। तो 26 करोड़ एक ऐसे व्यक्ति को दे दिए गए जिसका कोई अता-पता ही नहीं है और न ही वह ढूंढने से मिल रहा है और ना ही यह जमीन उसकी है।
दुर्गेश पाठक ने कहा, तीसरी आपत्ति यह है कि भाजपा के नेताओं ने लगभग 10 करोड़ का घोटाला किया। आमतौर पर जब आप किसी योजना पर काम करते हैं तो 5-10 हज़ार के छोटे मोटे खर्चों की एंट्री की जाती है, उसकी अनुमति ली जाती है।
भाजपा के नेताओं ने लगभग 10 करोड़ रुपए बिना किसी अनुमति के खर्च कर दिए। इतनी बड़ी रकम के लिए न किसी अधिकारी की मंजूरी ली गई ना किसी एजेंसी की मंजूरी ली गई। मैंने आप लोगों को केवल तीन आपत्तियों के बारे में बताया है। यदि आप इस रिपोर्ट को पढ़ेंगे तो इसमें 70 आपत्तियां देखने को मिलेंगे।
यह सभी आपत्तियां एमसीडी के ऑडिटर ने जताई हैं, ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार के ऑडिटर ने सभी आपत्तियां जताई हों। यह ऑडिट रिपोर्ट भाजपा शासित एमसीडी के ऑडिटर ने तैयार की है। अगर दिल्ली सरकार आपत्ति लगाती तो हो सकता है 100-200 और आपत्तियां निकल आती।