गोदी मीडिया आपके समाज के मूल स्वभाव और लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या कर रहा है। न्यूज़ चैनल करोड़ों लोगों तक पहुँचता है। आप देख सकते हैं कि किस तरह की पत्रकारिता हो रही है और इससे क्या लाभ है?
क्या धर्म की राजनीति इस लिए हो रही है कि इस राजनीति के सामने सत्य का धर्म काँपने लगे? उसकी हत्या हो जाए? धर्म क्या हमें यही बताता है कि झूठ की ही सत्ता रहेगी ? तब निश्चित रूप से ये धर्म नहीं है। अधर्म है।
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यह एंकर कितना चिल्लाता है। गर्मी आ रही है। इन्हें बेल का शर्बत पीने के लिए कहिए। ऐसा क्या हो गया है कि इतना चिल्ला रहे हैं। सड़क पर भारत इनकी तरह बोलने लगे तो ध्वनि प्रदूषण से लोग मरने लगेंगे। भाई प्यार से बोल लो।
झूठ ही तो बोलना है। सबको पता है। फिर काहे कूद रहे हैं चिल्ला रहे हैं कि पूछता है भारत। भारत पूछने वालों को जान गया है। कहने सुनने की संस्कृति अच्छी होनी चाहिए। थोड़ा ऊँचा बोल लीजिए लेकिन इतना मत चिल्लाइये कि स्पीकर का चदरा फट जाए। दो लाइन सुनकर कपार झनझना गया। लोग सुनते कैसे हैं?
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व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के ग्रुप में जितने रिश्तेदार इस तरह की फ़ालतू बात करते हैं उनके काम के नीचे इस एंकर का ऑडियो फुल भोलूम में बजा दीजिए, भाई साहब अगले दिन से गुडमार्निंग मैसेज पोस्ट करने नहीं आएँगे।