नई दिल्ली : दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद कहा कि टीएमसी अब ममता की पार्टी नहीं रही, उस पर कुछ कारपोरेट पेशेवरों ने इस पर कब्जा कर लिया है, जिन्हें राजनीति का कोई ज्ञान नहीं है.
पार्टी में कोई फोरम नहीं है, जहां अपनी बात रखी जा सके, संसद में मूकदर्शक की तरह बैठना बंगाल के साथ नाइंसाफी होती.
पार्टी में मैं अकेला नहीं हूं, अगर आप अन्य लोगों से पूछे तो वह भी यही महसूस करते हैं, मुझे राज्यसभा भेजने के लिए मैं पार्टी को धन्यवाद देता हूं.
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त्रिवेदी ने कहा आज एक बार फिर वह घड़ी आई जब मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी, मैं बैठे-बैठे सोच रहा था कि हम सब राजनीति में क्यों हैं, देश के लिए हैं, देश सर्वोपरि है.
उन्होंने बताया कि ऐसी ही घड़ी उस समय भी आई थी, जब मैं रेलमंत्री था, निर्णय मुश्किल था कि देश बड़ा, मेरा दल बड़ा या मैं बड़ा हूं, आज दुनिया हिंदुस्तान की ओर देखती है, मेरे राज्य में हिंसा हो रही है, लोकतंत्र में अजीब लग रहा है, क्या करूं.
आगे कहा कि पार्टी का अपना अनुशासन होता है, घुटन महसूस कर रहा हूं, आत्मा की आवाज आती है कब तक ऐसे चुपचाप देखते रहें, लिहाजा त्यागपत्र देना चाहता हूं.
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उनकी इस घोषणा पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदन से इस्तीफा देने की एक प्रक्त्रिस्या है, आप लिखित में इस्तीफा सभापति को सौंपे.
सुखेंदु शेखर रे ने कहा कि त्रिवेदी ने जनता से विश्वासघात किया है, बीते कई सालों से उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले अचानक इस्तीफा दे दिया, उन्होंने अपना असली रंग दिखाया है.
सांसद सौगत राय ने कहा त्रिवेदी का इस्तीफा पार्टी के लिए चौंकाने वाला नहीं है और इसका आगामी विधानसभा चुनाव में कोई असर नहीं होगा.
त्रिवेदी जमीन से जुड़े कार्यकर्ता नहीं है और वह लोकसभा चुनाव हार चुके हैं, इसके बावजूद ममता बनर्जी ने उन्हें राज्यसभा भेजा, अब उनके इस्तीफे से हमें किसी जमीनी कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजने का मौका मिलेगा.