नई दिल्ली : पटना में आज बाद शाहनवाज हुसैन ने विधान परिषद् के लिए नामांकन किया, शाहनवाज ने मजाकिया लहजे में कहा कि सुशील मोदी की छोड़ी हुई कुर्सी ही उन्हें मिलती है.
बिहार विधान परिषद में शाहनवाज हुसैन की इंट्री से पहले उनके नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है, शाहनवाज हुसैन कम उम्र में हीं केंद्र की सियासत में दाखिल हुए.
किशनगंज और भागलपुर से 1999, 2006 और 2009 में तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए, शाहनवाज को 2004 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी के कद्दावर तस्लीमुद्दीन के हाथों किशनगंज की सीट गंवानी पड़ी थी.
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लेकिन उनका राजनीतिक वनवास जल्द खत्म हुआ और वे सुशील मोदी की छोड़ी हुई लोकसभा की भागलपुर सीट से उपचुनाव जीत कर दोबारा संसद पहुंचने में कामयाब हो गए.
2005 में सुशील मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री बने, उधर, शाहनवाज हुसैन भी 2009 में भागलपुर सीट से दूसरी बार जीत दर्ज कर तीसरी बार लोकसभा पहुंचने में कामयाब हुए लेकिन 2014 में मोदी की लहर के बावजूद शाहनवाज हुसैन को भागलपुर सीट से चुनाव हार गए.
इस बार शाहनवाज हुसैन का राजनीतिक वनवास लंबा खिंचने लगा, बिहार से हर खाली होने वाली राज्य सभा और विधान सभा सीटों के रास्ते सदन में उनकी की वापसी चर्चाएं तो होती रहीं लेकिन उनका इंतजार लंबा होता गया.
एक बार फिर सुशील मोदी ही जाने-अनजाने शाहनवाज हुसैन के काम आए, 2005 से लगातार 2020 तक विधान परिषद में टिके सुशील मोदी को जब उपमुख्यमंत्री की सीट खाली करनी पड़ी तो उन्हें बीजेपी ने राज्य सभा में भेजने का फैसला किया.
इस तरह एक बार फिर सुशील मोदी की विधान परिषद में छोड़ी हुई कुर्सी शाहनवाज हुसैन के काम आई.
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शाहनवाज हुसैन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, उनकी बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर खास पहचान है, बीजेपी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर के निकाय चुनावों की भी जिम्मेदारी सौंपी थी.
शाहनवाज हुसैन को बिहार के कोसी और सीमांचल में जड़ें गहरी कर रहें असदुद्दीन ओवैसी के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है, शाहनवाज हुसैन सीमांचल की सीट किशनगंज से लोकसभा सांसद रहे हैं तो कोसी क्षेत्र स्थित सुपौल जिले के निवासी हैं.