नई दिल्ली : किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश कि कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए बनाई गई समिति से बाकी तीन सदस्यों को भी हटा दिया जाए.
ऐसे लोगों को उसमें रखा जाए जो परस्पर सौहार्द के आधार पर समाधान का रास्ता तलाश सकें, किसान संगठन ने कहा कि चार सदस्यीय समिति में जिन लोगों को रखा गया है.
उन्होंने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है, ऐसे में इन लोगों को समिति में बरकरार रखना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा.
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भारतीय किसान यूनियन ने अपने हलफनामे में केंद्र सरकार की उस याचिका को भी खारिज किए जाने की मांग की है जिसे दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल कराया गया है.
याचिका में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च या प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की गई है.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च के खिलाफ सरकार की याचिका पर 18 मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गई है.
लोकशक्ति उन 40 किसान संगठनों में शामिल है जो नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, ये सभी किसान संगठन करीब 50 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन और धरने में शामिल हैं.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट अपने अंतरिम आदेश में नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा चुका है, यही नहीं शिकायतों को सुनने और जारी गतिरोध के समाधान के लिए चार सदस्यीय समिति को गठित किया है.
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उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान भी थे, मान ने बीती 14 जनवरी को समिति से खुद को अलग कर लिया था.
इस समिति के अन्य सदस्यों में अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान के दक्षिण एशिया के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घानावत शामिल हैं.
लोकशक्ति के वकील एपी सिंह ने शीर्ष अदालत से कहा है कि समिति से इन तीनों सदस्यों को हटाया जाए और उन्हें रखा जाए जो सौहार्द के आधार पर समाधान निकाल सकें.