नई दिल्ली : तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 52वां दिन है, 26 नवंबर से किसान कड़कड़ती ठंड में कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.
इस दौरान लगभग 60 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं, सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को 17 जनवरी को दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में पेश होने को कहा है.
इसके बाद सिरसा ने कहा कि किसानों का समर्थन करने की कीमत चुका रहा हूं, सरकार विरोध को दबाने के लिए मेरी बोली लगा रही है, इसलिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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एनआईए का कहना है कि सिरसा से ‘सिख फॉर जस्टिस’ के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ दर्ज मामले से संबंधित पूछताछ करनी है.
पन्नू पर ‘भय और अराजकता का माहौल बनाकर लोगों में असंतोष पैदा कर उन्हें सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाने’ का आरोप है.
सिरसा ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है, उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जरिये आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की और अब यह एनआईए का सहारा ले रही है.
इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार को जानकारी मिली है कि किसान आंदोलनों में खालिस्तान समर्थित लोग घुसे हुए हैं, हालांकि, किसानों की मौत पर सरकार ने चुप्पी साधी हुई है.
सिरसा ने आगे कहा, “हमें इससे फर्क नहीं पड़ता, हम झुकेंगे नहीं, एनआईए दिन रात काम कर 26 जनवरी को होने वाली किसान परेड रोकने की कोशिश कर रही है, वहीं सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने पर अड़ी हुई है.
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दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शनिवार को 52वें दिन जारी है, कृषि सुधार पर तकरार के बीच आंदोलन की राह पकड़े किसानों की अगुवाई करने वाले यूनियन और सरकार से नौ बार मिल चुके हैं.
फिर भी मन नहीं मिला है, नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं के साथ शुक्रवार को करीब पांच घंटे मंथन के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला.
सरकार को फिर मिलने की अगली तारीख तय करनी पड़ी, अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी.