नई दिल्ली : राघव चड्ढा ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की शक्ति केंद्र की मोदी सरकार के पास है, कोई पैनल इसे वापस नहीं करा सकता है। आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार से इन तीनों कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है।
किसान संगठनों के साथ अब तक 8 दौर की बात हो चुकी है, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। मोदी सरकार की नियत ठीक नहीं है, सरकार तीनों काले कानून वापस नहीं करना चाहती है।
किसानों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी में शामिल चारों सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक हैं। किसानों को कमेटी के सदस्यों से न्याय की उम्मीद नहीं है। कमेटी के सदस्य बीएस मान ने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया है, वह पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक और करीबी भी हैं।
चड्ढा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्दे के पीछे रहकर काम न करें। हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री किसानों के साथ 15 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में खुद आएं और तीनों कानूनों को रद्द करें।
उन्होंने कहा कि बीते 50 दिन से देश का किसान, बड़े-बुजुर्ग, नौजवानों समेत लाखों लोग दिल्ली की दहलीज पर बैठे हैं। मोदी सरकार के तीनों काले कानूनों को वापस कराने और रद्द कराने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
बीते 50 दिनों में 67 से ज्यादा वीर किसानों ने शहादत दी है। इस संघर्ष में रोजाना एक से ज्यादा व्यक्ति की मौत हो रही है। हमने देखा कि कल सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया। तीन काले कानूनों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ-कुछ बातें कहीं।
मैं आम आदमी पार्टी, सीएम अरविंद केजरीवाल जी की मांग आज एक बार फिर पुरजोर तरीके से देश की मोदी सरकार के सामने रखना चाहता हूं कि तीनों काले कानूनों को खारिज कीजिए। यह तीन काले कानून खारिज करने की शक्ति मोदी सरकार के पास है।
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मोदी सरकार ही यह तीन काले कानून खारिज कर सकती है। किसी के हस्तक्षेप की बिल्कुल भी कोई जरूरत नहीं है। मैं बताना चाहूंगा कि 8 दौर की बैठक में मोदी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पीयूष गोयल समेत कई बड़े-बड़े मंत्री शामिल थे।
उन्होंने किसान संगठनों के नेताओं के साथ 8 बार बात करने की कोशिश की, लेकिन बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। क्योंकि मोदी सरकार की नियत में खराबी है। मोदी सरकार यह तीन काले कानून वापस नहीं करना चाहती है।
राघव चड्ढा ने कहा कि आठ दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि ठीक है, हम अगर तीन काले कानून वापस नहीं लेंगेे और आप अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ चले जाइए।
वहां जाकर इंसाफ ले लीजिए और देश के किसानों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ धकेल दिया। देश के किसानों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ धकेलने के बाद आठ दौर की बातचीत समाप्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट में यह मसला आया आया।
भारत का संविधान कहता है कि पूरा देश तीन मजबूत स्तंभों पर खड़ा है। पहला स्तंभ विधानसभा या संसद है, जो कानून बना सकती है और बने हुए कानून को खारिज कर सकती है। दूसरा स्तंभ न्यायपालिका है। कानूनी तौर पर जो कानून वैध या अवैध हैं, अदालत उस पर अपना आदेश देती है। अदालत कानून खारिज नहीं करती है।
तीसरा स्तंभ अफसरशाही है। अफसरशाही कानून को लागू करती है। तीनों का क्या काम है, यह भारत के संविधान में भलीभांति स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है।
उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मसला आया। सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार भी लगाता है, लेकिन 4 सदस्य कमेटी बना देता है। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि हम इन तीन कानूनों को अस्थाई तौर पर लागू करने से रोक देते हैं।
यानी कि कुछ दिनों, हफ्तों के लिए अस्थाई तौर पर इन तीनों कानूनों को लागू करने से रोक देते हैं और 4 सदस्य कमेटी बना देते हैं। इन 4 सदस्यीय कमेटी के सामने किसान जाएं। अपनी बात रखें और न्याय लें। इसे पढ़कर देश के किसान और तमाम लोगों के मन में आया कि यह सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला है?
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हमने भी थोड़ा बहुत होमवर्क इसके ऊपर किया, तो पाया कि कमेटी में जो 4 सदस्य बनाए गए हैं, वे सभी इन तीनों कानूनों के समर्थन में हैं। इन चारों सदस्यों ने समय-समय पर अपनी सहमति दी है। इन तीन काले कानूनों को लेकर चारों सदस्य कहते हैं कि यह अच्छे हैं।
इन कानूनों को बिल्कुल रद्द नहीं करना चाहिए। किसान भटक गए हैं। क्या यह 4 सदस्य देश के किसान को न्याय दे सकते हैं। हमारा मानना है कि तीनों काले कानूनों को केंद्र सरकार को खारिज करने चाहिए।
केंद्र में बैठी भारी बहुमत की नरेंद्र मोदी सरकार को तीनों काले कानून खारिज करने चाहिए। इन्हें खारिज करने की शक्ति अगर किसी के पास है, तो वह मोदी सरकार के पास है। इस कमेटी से इंसाफ की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
राघव चड्ढा ने कुछ तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यह तथ्य किसी वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रखा। अगर यह तथ्य रखे गए होते, तो शायद कमेटी का गठन ही नहीं होता।
आम आदमी पार्टी की ओर से भी यह जरूरी हो जाता है कि यह तथ्य हम लोगों के सामने रखें। जब से यह तीनों काले कानून बने हैं, तभी से इस कमेटी के पहले सदस्य अशोक गुलाटी न्यूज चर्चाओं, अखबारों में लेख के जरिए, साक्षात्कार और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार कहते आए हैं कि यह तीनों काले कानून अच्छे हैं।
यह किसान को आजादी देंगे। देश का विपक्ष किसान को भटकाने की कोशिश कर रहा है। किसान शायद भटक गए हैं और किसान अपना फायदा नहीं समझ पा रहे हैं। यह तीन काले कानून बड़े अच्छे हैं।
कमेटी में शामिल दूसरे सदस्य प्रमोद जोशी कहते हैं कि यह तीन काले कानून बेहद अच्छे हैं। इन तीन काले कानूनों से किसानों को फायदा भी होगा। प्रमोदी जोशी कहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसे हम एमएसपी कहते हैं, वह देना संभव नहीं है।
सरकार को किसान से खरीद बंद कर देनी चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य बिल्कुल अच्छा विचार नहीं है। इसे बिल्कुल लागू नहीं करना चाहिए। इसके कारण सरकार को बहुत बड़ा खरीद का नेटवर्क बनाना पड़ेगा। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रमोद कुमार जोशी कहते हैं कि कि अगर तीनों काले कानूनों को थोड़ा सा भी कमजोर किया गया, तो भारत को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बहुत हानि होगी। विश्व स्तर पर भारत का बड़ा नुकसान होगा।
इन कानूनों के बनने के बाद कमेटी के तीसरे सदस्य अनिल घनवत केंद्र में बैठी मोदी सरकार को लिखित में मेमोरेंडम देकर अपना समर्थन कानूनों के हक में दर्ज कराते हैं। अनिल घनवत कहते हैं कि एपीएमसी को खत्म कर देना चाहिए।
एपीएमसी किसान को कमजोर करती है। अगर इन तीन काले कानूनों को अच्छे से लागू किया गया, तो यह किसान को बहुत आजादी देंगे। इससे बेहतर चीजें कभी हुई नहीं हैं। मैं और मेरा पूरा संगठन इन कानूनों के हक में लगातार जागरूकता भी फैला रहा है और प्रदर्शन भी कर रहा है।
कमेटी के चैथे सदस्य भूपेंद्र सिंह मान के दो कनेक्शन हैं। पहला कनेक्शन यह है कि बीएस मान ने 14 दिसंबर को देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजकर कहा कि मैं और मेरा पूरा संगठन इन तीन कानूनों का समर्थन करता है।
यह तीन कानून बिल्कुल भी खारिज नहीं होने चाहिए। इन तीन काले कानूनों को भूल कर भी रद्द मत कर देना। वे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिले। उनसे भी कहा कि मैं और मेरा पूरा संगठन आप के समर्थन में है। हम इन 3 कानूनों के हक में खड़े हैं। क्या इन लोगों से उम्मीद की जा सकती है कि ये लोग देश के किसान के साथ न्याय करेंगे।
बीएस मान का दूसरा भी संबंध है। आम आदमी पार्टी हमेशा से कहती आई है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा से मिले हुए हैं। वह मोदी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। हमने कई सारे सबूत समय-समय पर दिए हैं।
उन्होंने एक और सबूत पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्य बीएस मान कैप्टन अमरिंदर के कट्टर समर्थक और पुराने साथी रहे हैं। इन्होंने 2017 के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए वोट मांगा था।
उनके बेटे को पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन का सदस्य बनाया गया। कैप्टन साहब ने अपने आईटी सेल पंजाब का उनके बेटे को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। उन्होंने पंजाब कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र ड्राफ्ट करवाया। कैप्टन अमरिंदर के बेहद करीबी माने जाने वाले बीएस मान आज इस समिति के सदस्य भी बन जाते हैं।
ऐसे में मोदी और कैप्टन अमरिंदर की सांठगांठ और दोस्ती को लेकर सबकुछ साफ हो जाता है। किस प्रकार से कैप्टन अमरिंदर ने बीएस मान को इस समिति का सदस्य भी बनवाया।
राघव चड्ढा ने कहा कि मैंने विस्तार से कमेटी में शामिल 4 लोगों के बारे में बताया कि पिछले छह-सात महीनों में इन तीन काले कानूनों के बारे में क्या प्रतिक्रिया रही हैं और उसके बारे में बताया। देश का किसान क्या इन 4 लोगों से न्याय की उम्मीद भी कर सकता है?
क्या यह लोग एक फीसदी भी न्याय कर पाएंगे। हमारा मानना है कि यह काम देश के प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को करना चाहिए। आम आदमी पार्टी और सीएम अरविंद केजरीवाल साफ तौर पर मांग करते हैं कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार इन तीन काले कानूनों को खारिज करे।
किसी अन्य के जरिए कानून खारिज नहीं होंगे। मोदी सरकार को तीनों काले कानून खारिज करने होंगे। यह हमारी सबसे बड़ी मुख्य मांग है।
उन्होंने कहा कि हम चाहेंगे कि देश के प्रधानमंत्री किसानों के साथ 15 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में खुद आएं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्दे के पीछे रहकर काम न करें। प्रॉक्सी मंत्रियों के जरिए काम करने की बजाए खुद सामने आएं और देश के किसानों से बात करें।
देश के किसानों की मांगों को स्वीकार करें और इन तीन काले कानूनों को पूरी तरीके से रद्द करें। आम आदमी पार्टी का स्टैंड है कि सरकार इन तीन काले कानूनों को रद्द करे। कोई समिति या किसी और जगह से तीन काले कानून रद्द नहीं होंगे। हम पूरी मजबूती के साथ मांग करते हैं कि आज हमारे बड़े-बुजुर्ग व नौजवान दिल्ली की दहलीज पर बैठे हैं।
हम सब पंजाबियों के लिए आज लोहड़ी का इतना बड़ा त्योहार है, लेकिन लाखों लोगों को लोहड़ी का त्योहार अपने परिवार, पिंड-इलाके से दूर इस ठंड में खुले आसमान में दिल्ली की दहलीज पर मनाना पड़ रहा है।
लोहड़ी के पर्व को परिवार वालों के साथ नहीं मना पा रहे हैं। केंद्र की बेरहम व निर्दयी मोदी सरकार कान खोलकर देश के किसानों की मांग को सुने। किसानों की मांग स्वीकारे और तीन काले कानून रद्द किए जाएं।