नई दिल्ली : किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बात करने को तैयार है, कृषि मंत्री ने कहा कि दो दिन पहले किसानों को वार्ता के लिए चिट्ठी भेजी गई थी, सरकार किसानों से बात करना चाहती है.
अगर वह बात करने को तत्पर हैं तो तारीख तय करें, हम बात करने को तैयार हैं, कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है.
हम पूरी मजबूती के साथ नए कानूनों की मंशा और उससे जुड़े लाभ किसानों को बता रहे हैं, आशा है क वह हमारी बात समझेंगे.
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कृषि मंत्री ने कहा कि नए कानूनों का मिनिमम सपोर्ट प्राइस से कोई वास्ता नहीं है, एमएसपी एक प्रशासनिक फैसला है, मैंने खुद संसद में कहा है कि हम एमएसपी की व्यवस्था जारी रखेंगे.
पीएम कई बार कह चुके हैं कि एमएसपी जारी रहेगी, कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने डेढ़ गुना ज्यादा एमएसपी बढ़ाई है, अगर संगठनों के पास कोई सुझाव है सरकार पर बात करने को तैयार है.
बता दें मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को रविवार को आमंत्रित किया और कहा कि वे इसकी तिथि तय करें.
सरकार ने कहा है कि कृषि कानूनों में पहले जिन संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया था, उन्हें लेकर जो चिंताएं हैं, संगठन वे भी बताएं.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के 40 संगठनों को पत्र लिखा है, इसमें कहा गया है कि केंद्र किसानों की सभी चिंताओं का उचित समाधान निकालने की खातिर ‘खुले मन से’ हरसंभव प्रयास कर रहा है.
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सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है, किसानों के संगठनों की एक बार अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है.
अग्रवाल ने कहा कि सरकार नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में अगली बैठक बुलाना चाहती है ताकि प्रदर्शन जल्द से जल्द समाप्त हों, उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों के समाधान के लिए खुले मन से हरसंभव प्रयास कर रही है.
अग्रवाल ने कहा कि नौ दिसंबर को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है जिसमें वर्तमान एमएसपी को जारी रखने के बारे में ‘लिखित आश्वासन’ की बात भी शामिल है.
लेकिन संगठनों ने वह प्रस्ताव खारिज कर दिया था, इसकी जानकारी क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 16 दिसंबर को ईमेल के जरिए दी, हालिया पत्र पाल को भी भेजा गया है.
इसमें अग्रवाल ने कहा कि किसान संगठनों द्वारा सरकार के मसौदा प्रस्ताव पर दिया गया जवाब ‘बहुत ही संक्षिप्त’ था.
पत्र में कहा गया कि जवाब में मसौदा प्रस्ताव खारिज करने की कोई विशेष वजह नहीं बताई गई है तथा ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त विचार आपके के थे या फिर सभी संगठनों के.’’