बिहार चुनाव में गिनती आगे बढ़ने के साथ यह लगभग तय हो गया है कि बिहार में फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है और आरजेडी- कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन के नसीब में पांच साल का और इंतजार ही आया है।
एग्जिट पोल्स और शुरुआती रुझानों में आगे रही महागठबंधन के पिछड़ते ही एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर शोर बढ़ रहा है। हालांकि, इस बार EVM को लेकर पार्टी दो खेमों में बंटती दिख रही है। कांग्रेस नेता उदित राज ने EVM पर सवाल उठाए हैं तो पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने खुलकर बचाव किया है।
ये भी पढ़ें: अखिलेश यादव का बीजेपी पर वार, सपा में शामिल हुए कई बड़े नेता
बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों में महागठबंधन के पिछड़ने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने मंगलवार को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब उपग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है तो फिर ईवीएम हैक क्यों नहीं की जा सकती।
दूसरी तरफ, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने उदित राज का नाम लिए बगैर कहा कि ईवीएम पर सवाल खड़े करने का सिलसिला बंद होना चाहिए क्योंकि इसके साथ छेड़छाड़ का दावा अब तक वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं हो सका है।
उदित राज ट्वीट किया, ”जब मंगल ग्रह और चांद की ओर जाते उपग्रह की दिशा को धरती से नियंत्रित किया जा सकता है, तो ईवीएम हैक क्यों नहीं की जा सकती? कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया, ”अमेरिका में अगर ईवीएम से चुनाव होता तो क्या डोनाल्ड ट्रम्प हार सकते थे?”
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को चल रही मतगणना के रुझानों के अनुसार दोपहर के समय तक 243 सीटों में से राजग 126 सीटों पर आगे चल रहा है और गठबंधन में भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी नीतीश कुमार नीत जद (यू) से बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विपक्षी महागठबंधन 103 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
कांग्रेस सांसद कार्ति ने ट्वीट किया, ”नतीजा चाहे कुछ भी हो, लेकिन अब ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया जाना बंद होना चाहिए। मेरे अनुभव के मुताबिक, ईवीएम की व्यवस्था मजबूत, उचित और भरोसेमंद है। यह राय मेरी हमेशा से रही है।”
ये भी पढ़ें: Covid-19: कोरोना को शरीर में प्रवेश से रोकने वाले यौगिकों का चला पता
उन्होंने कहा, ”राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम पर सवाल खड़े किए जाते हैं और खासकर चुनाव परिणाम के अपने अनुकूल नहीं होने पर ऐसा होता है। अब तक इस दावे को वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं किया जा सका है।