नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने 87 वर्षीय एक व्यक्ति की पांच दशक पहले प्राधिकारियों द्वारा पठानकोट में ली गई जमीन का मुआवजा नहीं देने के मामले में रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीडीई विभाग से कुछ मंजूरियां मिलने के दिखावटी आधार पर किसी नागरिक की संपत्ति उचित मुआवजा दिए बिना नहीं ले सकता।
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जस्टिस नवीन चावला ने सात सितंबर के आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता (मोहिंदर लाल) के साथ स्पष्ट तौर पर गलत हुआ है, उसे इस मामले में मुआवजा दिया जाना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारियों द्वारा दिखाई गई उदासीनता और उनकी निष्क्रियता के कारण मोहिंदर लाल यह याचिका दायर करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए मजबूर हुए।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की उम्र 87 साल है और इस उम्र में भी उन्हें कानूनी और वैध बकाया के लिए इधर-उधर भागना पड़ रहा है।
बुजुर्ग व्यक्ति के मामले की पैरवी वकील तरुण राणा कर रहे थे। याचिकाकर्ता के अनुसार, पंजाब के पठानकोट क्षेत्र में उसकी कृषि भूमि को मार्च 1970 में अधिसूचना के माध्यम से रक्षा उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित किया गया था।
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वकील ने कहा कि पंजाब की एक निचली अदालत ने 1987 में मुआवजे का भुगतान करने का पहला आदेश दिया था, उसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया पर मोहिंदर लाल को आज तक कोई भुगतान नहीं किया गया।