आंध्र प्रदेश: विशाखापट्टनम में हुई गैस लीक ट्रेजडी से नुकसान का अंदाजा अभी लगना मुश्किल है। सुबह का मंज़र बहुत भयानक था। घटनास्थल से जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उसके मुताबिक, कई घरों से लोगों को दरवाजे तोड़कर निकालना पड़ रहा है। राहत और बचाव के काम में लगी टीमें लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने में जुटी हैं।
केमिकल प्लांट के तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों से लोगों को निकाला जा रहा है। हो सकता है इससे ज्यादा एरिया को भी खाली कराना पड़े। पूरा मंजर इतना भयावह था कि 1984 भोपाल गैस ट्रेजडी की यादें ताजा हो गईं। वैसा ही खौफ, वैसी ही बदहवासी देखने को मिल रही है।
गुरुवार सुबह, प्लांट के आसपास कई जगहों पर लोग बेहोश पड़े दिखे। सड़क किनारे मृत जानवर भी नजर आए। बच्चों को कंधे पर रखकर घबराए लोग अस्पतालों की ओर भागे। भर्ती हुए मरीजों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं।
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मौके पर मौजूद रहे लोगों के मुताबिक, रात करीब तीन बजे अचानक सांस लेने में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई।
दहशत में आकर लोग अपने घरों से बाहर भागे, लेकिन हवा जहरीली हो चुकी थी। केमिकल यूनिट के आसपास के 3 किलोमीटर के दायरे में इलाके के लोगों को वहां से हटाया गया है। करीब 8 हजार लोगों को अपना घर खाली करना पड़ा है। उनके लिए भोजन सहित अन्य सभी व्यवस्था की गई है।
इस घटना ने देश को भोपाल गैस ट्रेजडी की याद दिला दी है। 2 दिसंबर, 1984 की रात को इसी तरह, भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइड का रिसाव हुआ था।
गैस पूरे शहर की हवा में घुल गई थी। सैकड़ों लोग नींद में ही मौत के आगोश में चले गए थे। जिनकी जिंदगियां बचीं, उनके फेफड़े कमजोर पड़ गए और आखें खराब हो गईं। कई की सुधबुध चली गई और वो मनोरोगी हो गए।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस दुर्घटना में 3,787 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 1.02 लाख लोग प्रभावित हुए थे। हालांकि, इंडिपेंडेंट सोर्सेज इस हादसे में 15,000 से ज्यादा लोगों की मौत की बात कहते हैं। कई पीड़ितों की संतानें अपंग पैदा हुईं क्योंकि गैस ने जेनेटिक स्ट्रक्चर पर असर डाला था।
घटनास्थल के आसपास से लोगों को निकालने का काम जारी है। अभी तक 9 लोगों से ज्यादा म!रने की संभावना है। लोग दम घुटने पर बाहर की ओर भागे। जो तस्वीरे-वीडियो सामने आए हैं, वह बेहद खौफनाक हैं। सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के सैकड़ों मरीज अस्पताल पहुंचाए गए हैं।
तीन किलोमीटर के दायरे में पांच गांव इस गैस लीक से प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि गैस वातावरण में कहां तक फैलेगी, यह हवा की गति पर निर्भर करता है।
ऐसे में आशंका है कि इस गैस लीक कांड से पीड़ितों की संख्या बढ़ सकती है। अधिकारियों के मुताबिक, स्टाइरीन जैसी जहरीली गैस इस दुर्घटना की वजह बनी।
स्टाइरीन जैसी गैसेज का यूज प्लास्टिक और रेजिन बनाने में होता है। स्टाइरीन गैस रंगहीन लिक्विड होती है जो मीठी सुगंध देती है। बहुत कम वक्त के लिए भी अगर इंसान इनके संपर्क में आए तो रैशेज पड़ जाते हैं, आंखों में जलन होती है, आंतों पर भी असर पड़ता है।
अगर लंबे वक्त तक इन गैसों के बीच व्यक्ति रहे तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम खराब होने लगता है। इससे सिरदर्द, कमजोरी, डिप्रेशन, सुनने की क्षमता खत्म होना तक हो सकता है। ये गैसेज रिप्रोडक्शन सिस्टम पर भी असर डाल सकती हैं, मगर इस बारे में अभी पूरी रिसर्च पुख्ता नहीं है।
LG Polymers भारत में प्लास्टिक रेजिन और सिंथेटिक फाइबर बनाने वाले लीडिंग मैन्युफैक्चरर्स में से एक है। साल 1997 में हिंदुस्तान पॉलिमर्स को पूरी तरह ओवरटेक करने के बाद दक्षिण कोरिया के ग्रुप LG Chemical ने भारत में एंट्री की थी।
उसी के मालिकाना हक वाली मुंबई की LG Polymers India विशाखापट्टनम में लगे प्लांट को चलाती है। साल 2017 में LG Chemical दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी केमिकल कंपनी थी। LG Polymer ने एक बयान में कहा है कि स्टोरेज टैंक में 1800 टन स्टाइरीन थी। कंपनी ने कहा कि तापमान में बदलाव के चलते शायद लिक्विड गैस वेपराइज हो गई।
विशाखापट्टनम में जो खौफनाक हालात हैं, उसे लेकर पूरे देश में चिंता की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग #PrayForVizag हैशटैग के साथ दुआ कर रहे हैं कि 1984 जैसा मंजर ना देखने को मिले। उस दुर्घटना ने एक पूरी पीढ़ी को तबाह किया है। लोग बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि विशाखापट्टनम दूसरा भोपाल ना बने।
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केमिकल यूनिट में हुए हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना को परेशान करने वाला हादसा बताया है।
NDMA की ओर से कहा गया है कि यह केमिकल डिजास्टर है जिसके लिए केमिकल एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ेगी। और लोगों को बाहर निकालने के लिए मेडिकल हेल्प चाहिए होगी। आंध्र प्रदेश के सीएम वाई। एस जगन मोहन रेड्डी ने अस्पताल का दौरा किया है।