नई दिल्ली: कोविड 19 के संक्रण की रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच खींचतान का सिलसिला अब भी जारी है। केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को कहा गया कि पश्चिम बंगाल में कोविड 19की जांच काफी धीमी गति से हो रही है।
कोविड 19 से मरने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। प्रदेश में लॉकडाउन का उल्लंघन भी हो रही है। यह सारी बातें केंद्र की ओर से पश्चिचम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को दो पन्नों के लेटर में कही गई है।
ये भी पढ़ें: आज से यूपी के ग्रीन जोन जिलों में रोडवेज बसों का संचालन, जाने क्या है नियम
गृह सचिव ने कहा कि कोविड 19के खतरे को देखते हुए भीड़भाड़ वाले इलाकों को सैनेटाइज नहीं किया गया। बिना मास्क के ही लोगों की आवाजाही हो रही है। उन्होंने कहा कि कोविड 19 के खतरे के बीच नदियों में लोग स्नान कर रहे हैं, पार्कों में क्रिकेट और फुटबॉल खेला जा रहा है। सड़कों पर बिना रोकटोक के रिक्शा चल रहे हैं।
प्रदेश में सोशल डिस्टेंसिंंग का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ऐसे मेें कोविड 19के संक्रमण को रोकना बेहद मुश्किल है। भल्ला ने पश्चिम में बंगाल में कोविड 19 के मद्देनजर भेजी गई टीमों से मिली रिपोर्ट के बाद यह पत्र लिखा है। उधर, बंगाल सरकार का कहना है कि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोई फैसला किया जाएगा।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि कोविड 19 के कहर को देखते हुए प्रदेश में लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि राज्य में पेशेवर डाक्टरों की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण के कारण कोविड 19के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि पश्चिम बंगाल राज्य में कोविड 19के टेस्ट प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से काफी कम हुए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में कोविड 19 से मरने वालों की दर 13.2 प्रतिशत है,जो बहुत अधिक है, यह अन्य राज्यों के हिसाब से भी सबसे अधिक है। भल्ला ने कहा कि प्रदेश सरकार की लापरवाही की ओर से कोरोना के संदिग्ध मरीजों की निगरानी नहीं की गई और न ही भीड़भाड़ वाले इलाकों में कोविड 19 के टेस्ट किए गए।
उन्होंने कहा कि कोलकाता और हावड़ा शहरों में कुछ लोगों ने लॉकडाउन का सबसे ज्यादा उल्लघंन किया है। ऐसे इलाकों में पुलिस पर भी हमला किया गया है। इसका उल्लेख मीडिया रिपोर्ट में भी किया गया था।
गृह सचिव ने कहा कि एक मजबूत निगरानी और परीक्षण व्यवस्था के तहत ‘आरोग्य सेतु’ ऐप प्रदेश में कोविड 19वायरस को रोकने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पीपीई और एन -95 मास्क की गुणवत्ता आईसीएमआर मानकों के अनुरूप हो।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार गरीब और प्रवासी मजदूरों की भलाई के लिए भी ध्यान देना चाहिए और उनके कष्टों को कम करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी साझा करने चाहिए। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी के चाय बागानों श्रमिकों को पर्याप्त रूप से मुआवजा देने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, क्योंकि तालाबंदी के पहले चरण के दौरान उन्हें कम मजदूरी का भुगतान किया गया था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड 19 के टेस्ट के नतीजों में देरी होने के चलते मरीजों की जान पर जोखिम बना। केंद्रीय गृह सचिव ने यह भी आरोप लगाया था कि राज्य सरकार जमीनी स्थिति का आकलन करने में केंद्रीय टीमों के साथ सहयोग नहीं कर रही है। केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को ठीक से लागू नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया।
कोरोना महामारी के चलते आलोचना झेल रही ममता सरकार हरकत में आ गई है। सरकार ने कोरोना के परीक्षण कई गुना बढ़ा दिए हैं। कोविड 19 मौतों पर ऑडिट समिति के क्षेत्राधिकार में बदलाव लाकर और लॉकडाउन उपायों को कड़ा करके अपनी रणनीति बदली है। तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अनुसार ,रणनीति में बदलाव लोगों में बढ़ते असंतोष और केंद्र की टीमों की तीखी टिप्पणी के बाद किया गया है।
ये भी पढ़ें: PM मोदी ने कहा, ‘कोरोना मुश्किलें लेकर आया, घर बना नया ऑफिस, सहयोगियों के साथ ब्रेक पर जाना हुआ इतिहास
बता दें कि बंगाल में 1344 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और 140 मरीजों की मौ!त हुई है। इन 140 मरीजों में 68 की मौ!त की वजह वायरस को बताया गया जबकि बाकी में अन्य कई बीमारियां भी थीं। अधिकारियों के अनुसार पश्चिम बंगाल में अब रोजाना करीब 2500 परीक्षण हो रहे हैं और अबतक 25,116 नमूनों की जांच हो चुकी है।