सोशल मीडिया और व्हाट्स एप ने कई सामाजिक विकृतियों को जन्म दिया है। हम सभी इन विकृतियों के शिकार हैं। जैसे गुड मार्निंग मेसेज भेजना। कुछ भी मिले बिना जाँच किए फार्वर्ड करना। त्योहारों पर बधाई संदेश भेजना। अचानक सभी को कुछ हो जाता है।
सब मैसेज भेजने लगते हैं। कोई नहीं देखता है तो फिर भेज देते हैं। अनगिनत मैसेज को देखने से कोई रिएक्शन नहीं होता। आप देखते जाते हैं और डिलिट करते जाते हैं। आपको लगता है कि आपके मैसेज में बहुत रचनात्मकता और नवीनता है लेकिन जल्दी पता चल जाता है कि किसी का उड़ाया हुआ है। कुलमिलाकर मामला बोर हो जाता है। अब नया यह है कि बधाई मैसेज न भेजें।
आप सभी से निवेदन है कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है 2020 में कि उसकी ख़ुशी में आप किसी का इनबाक्स भर दें। डिलिट करने का काम बढ़ जाता है और सबका जवाब देने बैठिए तो अच्छा ख़ासा वक्त बर्बाद हो जाता है। अपने पेज से ज़रूर सभी को बधाई दें लेकिन सबके इनबाक्स में जाकर लाई छींटने से बचिए।
उम्मीद है आप सभी नए वर्ष की शुभकामनाओं की बरसात से बचेंगे। जवाब देना संभव नहीं होता। इसलिए इससे बचें।
आप सभी को नए वर्ष की शुभकामनाएँ। अगले साल भी न तो कोर्ट सिस्टम में सुधार होगा न पुलिस सिस्टम में। कोर्ट का इक़बाल कमज़ोर होता जा रहा है और पुलिस का हाल आप जानते ही हैं। इसलिए सारा ज़ोर मैसेज भेजने में मत लगा दीजिए। गाड़ी भाड़ा कर शहर से दूर पिकनिक मनाने जाइये।
जाड़ा बहुत है इसलिए मंकी कैप पहने रहिए और मुर्ग़ा मीट फ्राई करते रहिए। शाकाहारी लोग आलू भुजिया खाएँ। सत्तू का पराठा जमेगा। चोखा भी चलेगा। गाने में मिथुन दा की फ़िल्मों के गाने सुनें।
किसी को मैसेज न भेजें यही नए साल का मैसेज हो।
(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से लिया गया है)