देश भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन में शामिल रहे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में तमाम सरकारी और प्रशासनिक हथकंडों के बावजूद अभी भी विरोध जारी है। बीएचयू में जारी 101वें दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को एमए हिस्ट्री ऑफ आर्ट्स के छात्र रजत सिंह ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालय के छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में अपनी डिग्री लेने से इनकार कर दिया। रजत सिंह ने कहा कि 19 दिसंबर को बनारस में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नहीं हुई थी। उसके बावजूद पुलिस ने आवाज दबाने के लिए छात्रों सहित कई लोगों को फर्जी मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया है।
इसके बाद तमाम अन्य छात्रों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया। रजत ने बताया कि वे अपने गिरफ्तार साथियों की रिहाई चाहते हैं। आरोप है कि बनारस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 70 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। बनारस के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नही हुई थी। इसके बावजूद पुलिस ने बीएचयू के छात्रों को डराने के लिए फर्जी मुकदमे लगाए हैं। ऐसे में इन सभी गिरफ्तार छात्रों के समर्थन में एमए इतिहास के छात्र रजत ने मंच पर पहुंच कर डिग्री से लेने से इंकार कर दिया।
नागरिक कानूध पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते और राज्य में बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने सीएए को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने सवाल किया कि सीएए में मुस्लिमों को क्यों शामिल नहीं किया गया है?
चंद्र कुमार बोस ने ट्वीट कर कहा, ‘यदि सीएए 2019 किसी धर्म से जुड़ा नहीं है तो क्यों हम हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों, पारसियों और जैन लोगों पर ही जोर दे रहे हैं। क्यों मुस्लिमों को शामिल नहीं किया जाता? हमें पारदर्शी बनना चाहिए। यदि मुस्लिमों के साथ उनके गृह देश में उत्पीड़न नहीं होगा तो वे नहीं आएंगे, इसलिए उन्हें शामिल करने में कोई नुकसान नहीं है।’ बता दें कि बीजेपी की यह मेगा रैली सोमवार को हुई थी।