नई दिल्ली: मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इकॉमनी जिस हालात में है उससे यह साफ है कि यह आईसीयू में जा रही है। उन्होंने इकॉनमी को लेकर कहा कि, भारत ‘गहरी आर्थिक सुस्ती’ में है। बैंकों और कंपनियों की टूइन बैलेंसशीट क्राइसिस के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव है। सुब्रमण्यन मोदी सरकार के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार थे, लेकिन पिछले साल अगस्त में पद छोड़ दिया था।
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जताई चिंता
सुब्रमण्यन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए रिसर्च पेपर में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय बैंक, इंफ्रास्ट्रक्चर, एनबीएफसी और रियल एस्टेट जैसे 4 क्षेत्रों की कंपनियों के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है।
उन्होंने उस समय कहा था कि निजी कंपनियों पर बढ़ता कर्ज बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन रहा है। अपने नए शोध पत्र को सुब्रमणियन ने दो भागों टीबीएस और टीबीएस-दो में बांटा है। टीबीएस-1 इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए बैंक कर्ज के बारे में है। यह कर्ज निवेश में जोरदार तेजी के दौरान 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए बन गया।
अरविंद सुब्रमण्यन के बयान पर पीयूष गोयल ने कहा कि जब तक वो पोजिशन में रहे तब तक उन्हें कुछ दिखा नहीं, लेकिन भारत से निकलकर जाने के बाद उन्हें कुछ और दिखने लगा। अर्थशास्त्रियों के बारे में कहा जाता है कि वे एक राय नहीं रखते हैं।
वहीं प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अरविंद सुब्रमण्यन के प्रजेंटेशन पर ही हम प्रेजेंटेशन करते हैं, यह सब वही लिखते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में समस्या चल रही है तो…थोड़ा असर तो दिखेगा ही।