नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो चुका है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक (बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, हिंदू, पारसी) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। वहीं, इस बिल का विपक्ष विरोध कर रहा है तो वहीं, मुस्लिम लीग ने इस बिल के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने अपनी याचिका में कहा है कि विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करे।
वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में कहा कि ये विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करे। इन दोनों के अलावा ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) भी याचिका दाखिल कर सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को निकट भविष्य में अदालत में चुनौती दी जाएगी क्योंकि यह संवैधानिकता के लिहाज से “बेहद संदिग्ध” है। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया था कि विधेयक पारित होने पर पार्टी अदालत का रुख करेगी। कांग्रेस के एक अन्य नेता मनीष तिवारी ने कहा कि विधेयक “असंवैधानिक” है और इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से जब यह पूछा गया कि विधेयक के पारित होने पर क्या कांग्रेस उच्चतम न्ययालय का दरवाजा खटखटाएगी तो उन्होंने कहा, “हम सभी संभावनाएं तलाशेंगे।”
इस बीच नागरिकता संशोधन बिल पर बांग्लादेश ने कहा कि इसका दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं होगा। बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉक्टर एके अब्दुल मोमेन ने कहा- “ऐसे कुछ ही देश हैं जहां पर बांग्लादेश की साम्प्रदायिक सौहार्द अच्छा है। अगर गृह मंत्री अमित शाह कुछ महीने बांग्लादेश में ठहरते हैं तो वे हमारे देश में शानदार भाईचारा देखेंगे।”