नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे। बिल के सदन में पेश होने के बाद इस पर चर्चा होगी। इसके लिए बीजेपी ने व्हिप जारी किया है।
लोकसभा में इस बिल को पारित कराना सरकार के लिए मुश्किल नहीं है लेकिन राज्यसभा में इस बिल को पारित कराने के लिए सरकार को गैर-एनडीए और गैर-यूपीए दलों पर निर्भर रहना होगा। इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। विपक्ष इस बिल का लगातार विरोध कर रहा है।
कांग्रेस ने पहले ही फैसला कर लिया है कि इस बिल का विरोध करने के लिए वह समान सोच वाली पार्टियों से बातचीत करेगी। हालांकि निचले सदन लोकसभा में जहां भाजपा को बहुमत वहां कांग्रेस ज्यादा कुछ नहीं कर सकेगी लेकिन उच्च सदन राज्यसभा में वह इस विधेयक को रोक सकती है।
वामपंथी पार्टियों ने भी इस बिल का विरोध करने का निर्णय किया है और वे इसमें संशोधन चाहते हैं। पार्टी ने कहा है कि वह बिल से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का नाम हटाना चाहती है और वह चाहती है कि किसी भी पड़ोसी देश के शरणानार्थी को इस बिल में शामिल किया जाए।
मुसलमानों को शामिल न करने पर है विपक्ष का विरोध
विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों- हिंदू, बौद्ध, पारसी, जैन, सिख व इसाइयों के भारत आने पर उनको जल्द नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि बंटवारे के समय कुछ मुसलमान भी इन देशों में गए थे और अगर वे वापस लौटना चाहें तो उनको भी शामिल करना चाहिए। हालांकि सरकार का कहना है कि तीनों मुस्लिम राष्ट्र हैं और वहां पर समस्या अल्पसंख्यकों को आ रही है। मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं है।