नई दिल्ली: हैदराबाद और उन्नाव में हुई हैवा’नियत पर देशभर में गुस्सा है, सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोग रे’प के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी एक कार्यक्रम में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जो कुछ भी हुआ वह हम सभी के लिए शर्म की बात है।
उपराष्ट्रपति ने पुणे में एक कार्यक्रम संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में हम महिलाओं को मां और बहन के रूप में मानते हैं, लेकिन हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है, वह वास्तव में हम सभी के लिए शर्म और चुनौती वाली बात है।
नायडू ने कहा कि मैं कोई नया कानून या बिल लाने के खिलाफ नहीं हूं। उन्होंने कहा कि हम निर्भया कांड के बाद बिल लेकर आए। क्या हुआ? क्या समस्या हल हो गई है?
मालूम हो कि आज देश में मौजूदा हालात है जिसको देखने के बाद देश की हर एक महिला असुरक्षित महसूस कर रही है, आए दिन एक से बढ़कर एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आती है। ऐसी घटनाओं को देखने के बाद देश की जनता में आक्रोश है लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या महिलाओं के रात में घर से बाहर ना निकलने पर देश में रे’प बंद हो जाएंगे
बता दें कि मंत्रालयों के काम-काज पर नजर रखने वाली संसदीय कमेटियों की बैठकों में सासंदों की कम अनुपस्थिति पर गुरूवार को सभापति वैंकेया नायडू ने तीखी नाखुशी जताई है। साथ ही कहा है कि सदस्यों का इस तरह का रवैया ठीक नहीं है। सभापति इससे पहले भी सदन में सांसदों की कम उपस्थिति और सवाल करने के बाद गायब होने को लेकर भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
नायडू ने कहा कि सदस्यों का यह रवैया इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि प्रत्येक सदस्य उस बैठक में 25 सदस्यों के प्रतिनिधि के तौर पर रखा जाता है। ऐसे में सदस्यों की अनुपस्थिति से उनकी आवाज कमजोर पड़ रही है। बता दें कि एक समिति मे अध्यक्ष सहित राज्यसभा के दस सदस्य और लोकसभा के 21 सदस्य रहते है।