महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज बिहार के पटना शहर में निधन हो गया है। नारायण सिंह बीते 40 साल से सिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी से पीड़ित थे। वह बीते दिनों से काफी बीमार चल रहे थे। उनका निधन 74 साल की उम्र में हुआ है। उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया है।
परिजनों के साथ पटना के कुल्हरिया कांप्लेक्स के पास रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की तबीयत आज सुबह अचानक खराब हो गई। बताया जा रहा है कि आज तड़के उनके मुंह से खून निकलने लगा। जिसके बाद उन्हें तत्काल परिजन पीएमसीएच लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों का आरोप है कि वशिष्ठ नारायण सिंह की मृत्यु के 2 घंटे तक उनकी लाश अस्पताल के बाहर पड़ी रही। 2 घंटे के इंतजार के बाद एबुंलेंस उपलब्ध कराया गया।
पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन एल. केली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अमरीका ले गये। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से उन्होंने 1969 में केली के मार्गदर्शन में ही ‘साइकल वेक्टर स्पेस थ्योरी’ विषय में अपनी पीएचडी पूरी की। इसके बाद वह वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए गए। उन्होंने अमेरिका के नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेड एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) में भी काम किया।
इसके बाद वह भारत लौट आए और वर्ष 1971 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में अध्यापन करने लगे। महज आठ महीने बाद ही उन्होंने इस संस्थान से त्यागपत्र दे दिया और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), बंबई में काम करने लगे। वर्ष 1974 में उन्हें तत्कालीन कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) में स्थाई प्रोफेसर नियुक्त किया गया। वर्ष 2014 में उन्हें बिहार में मधेपुरा के भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफेसर नियुक्त किया गया।