कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का रविवार को बाबरी मस्जिद को लेकर किया गया ट्वीट चर्चाओं में आ गया। आपको बता दें कि अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के आपराधिक मामले में अप्रैल 2020 तक अदालत का फैसला आ सकता है। लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई रोजाना हो रही है। बीते 11 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई में तेजी लाते हुए विशेष अदालत ने अभियोजन को रोजाना चार गवाहों को समन जारी करने का आदेश दिया था। लिहाजा ऐसी संभावना है कि दिसम्बर के अंत तक इस मामले में परीक्षण की कार्यवाही पुरी हो जाए।
दिग्विजय सिंह ने लिखा, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि फैसले में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के कृत्य को गैर कानूनी अपराध माना है। क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी? देखते हैं। 27 साल हो गए।’
इससे पहले कल दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा था कि मंदिर निर्माण से राजनीतिक दलों के लोगों को दूर रखें। उन्होंने कहा कि सरकार, मंदिर के निर्माण में पांचों पीठों के शंकराचार्यों को शामिल करें। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर जमा हुई धनराशि को सरकारी खजाने में जमाकर उससे ही मंदिर का निर्माण कार्य कराया जाए।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि मस्जिद में मूर्ति रखना और ढांचा ढहाना गैरकानूनी था। पीठ ने कहा, साक्ष्यों के अनुसार, मस्जिद में मुस्लिम नमाज पढ़ते थे। 22-23 दिसंबर 1949 को गुंबद के नीचे मूर्ति रखी गई। यह अपवित्र काम था। 1992 में ढांचा ढहना कानून का उल्लंघन था। हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जो गलत हुआ, उसे सुधार सकते हैं। मस्जिद के लिए जमीन देना जरूरी है, क्योंकि मुस्लिमों को गलत तरीके से बेदखल किया था। या तो, केंद्र सरकार अधिगृहीत जमीन से इतर या फिर राज्य सरकार अयोध्या में वक्फ बोर्ड को जमीन दें।