अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह हम भी फैसले से सहमत नहीं हैं, सुप्रीम कोर्ट से भी चूक हो सकती है। जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है।
ओवैसी ने आगे कहा, ”अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती। यह कानून के खिलाफ है। बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता है। जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है।”
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें 5 एकड़ के ऑफर को खारिज कर देना चाहिए। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ये मुल्क अब हिंदूराष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या से इसकी शुरुआत की है और एनआरसी, सिटिजन बिल से यह पूरा किया जाएगा।
ओवैसी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। भारत के नागरिक होने के नाते मेरा अधिकार है कि मैं कोर्ट के फैसले से असंतुष्टि जताऊं। क्या इस देश में हमें बोलने की आजादी नहीं है। मुल्क हिन्दू राष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है। संघ इसे अयोध्या से शुरुआत करेगी। एनआरसी का भी वो इस्तेमाल करेगी। ओवैसी ने आगे कहा कि मैं अपनी निजि घर का सौदा कर सकता हूं, मगर मस्जिद की जमीन का सौदा नहीं कर सकता हूं।
क्या है अयोध्या पर फैसला:
संविधान पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि नयी मस्जिद का निर्माण ‘प्रमुख स्थल पर किया जाना चाहिए । साथ ही उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। विवादित स्थल गिराये जाने की घटना के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गये थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं। हालांकि यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी।