नई दिल्ली: अयोध्या मामले के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आने वाले फैसले से पहले जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि ‘वर्तमान में देश आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर चुनौतियों से गुजर रहा है और हालात चिंताजनक हैं। मदनी ने कहा कि मुसलमानों का दृष्टिकोण पूर्णतः ऐतिहासिक तथ्यों, सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर है। बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर या किसी मंदिर की जगह पर नहीं किया गया था। हमें पूर्ण विश्वास है कि कोर्ट का फैसला आस्था की बुनियाद पर ना होकर कानूनी दायरे में होगा और कोर्ट के फैसले को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ससम्मान स्वीकार करेगी।’
अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या पर सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह फैसला हमारे पक्ष में आएगा। साथ ही अरशद मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद का केस केवल भूमि का नहीं है बल्कि यह मुकदमा देश के दस्तूर और कानून का है।
जमीयत के प्रमुख ने कहा कि अयोध्या में 400 साल से बाबरी मस्जिद थी और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। सत्ता और ताकत के दम पर उसे कोई भी स्वरूप दिया जाए। किसी पार्टी या व्यक्ति का अधिकार नहीं है कि किसी विकल्प के उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए। ऐसे में साक्ष्य और सबूत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे।
अरशद मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएं, उसे लोग माने। देश में शांति और आपसी भाईचारा बनाएं रखें। इस मसले पर संघ, सरकार और जमीयत एक साथ है। इतना ही नहीं, यह भी जानकारी मिली है कि शाम को वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से अरशद मदनी मुलाकात कर सकते हैं।
इससे पहले ऑड-इवेन के दौरान ऑड नंबर की गाड़ी से होने के चलते अरशद मदनी की गाड़ी का चालान कटा और वह देरी से पत्रकार वार्ता में पहुंचे।