न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े को मंगलवार को भारत का 47वां प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया। सरकार से संबद्ध सूत्रों ने बताया कि उनके नियुक्ति के वारंट पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और जल्द ही एक औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है। 63 वर्षीय न्यायमूर्ति बोबड़े 18 नवंबर को सीजेआई पद की शपथ ग्रहण करेंगे। न्यायमूर्ति बोबड़े 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे।
परंपरा के हिसाब से ही गोगोई ने इसी महीने सरकार को पत्र लिख कर न्यायमूर्ति एस ए बोबडे को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। अब राष्ट्रपति ने एस ए बोबडे को सुप्रीम कोर्ट का अगला चीफ जस्टिस बनाए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। जस्टिस बोबडे 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त हुए थे। सुप्रीम कोर्ट आने से पहले जस्टिस बोबडे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर थे।
अयोध्या भूमि विवाद की कर रहे सुनवाई
आपको बता दें कि एस.ए. बोबड़े उस संविधान पीठ में शामिल हैं जो अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई कर रही है। उनके अलावा इस संविधान पीठ में मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस नजीर और जस्टिस चंद्रचूड़ शामिल हैं। अयोध्या मामले में पीठ से सुनवाई पूरी कर ली है, अब बस फैसला सुनाया जाना बाकी है।
जस्टिस बोबडे मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं
जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही कानून की डिग्री ली। इसके बाद 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। फिर 2012 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था। इसके बाद अप्रैल 2013 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी गई। जस्टिस बोबडे सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी समिति में शामिल थे।