भारत में इन दिनों कुछ हिंदुत्ववादी संगठन हिंदू धर्म को ख़तरे में बता रहे हैं। उनका मानना है कि देश के बहुसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यकों से ख़तरा है। कथित तौर पर धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए यह लोग काफी संघर्ष भी कर रहे हैं। लेकिन क्या बहुसंख्यकों को सच में अल्पसंख्यकों से खतरा हो सकता है?
इसका जवाब बॉलीवुड एक्ट्रेस रिचा चड्ढा ने एक ट्वीट कर दिया है। उन्होंने तथाकथित हिंदुत्ववादी संगठनों पर हमला करते हुए लिखा, “हां है भारत में हिन्दू धर्म को ख़तरा। हिंदू धर्म को ख़तरा है हिन्दुत्ववादियों से। धर्म बचाओ, हिन्दुत्ववादियों को भगाओ। जनहित में जारी।’ एक्ट्रेस के इस ट्वीट को समझने के लिए हमें आंकड़ों, भूगोल और देश के मौजूदा हालात को समझना ज़रूरी है।
बात आंकड़ों की करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 79.80 % हिंदू हैं यानी 96.62 करोड़। वहीं मुस्लिमों की आबादी 14.23 % है यानी 17.22 करोड़। बाकी कोई धर्म ढ़ाई प्रतिशत भी नहीं है। भूगोल की बात करें तो देश के 28 राज्यों में हिंदू बहुसंख्यक है। अब यह सोचने वाली बात है कि जहां हिंदुओं की आबादी 79.80 % हो वहां हिंदू धर्म को खतरा कैसे हो सकता है? इस डर के पीछे कोई तो वजह होनी चाहिए। देश के मौजूदा हालात पर नज़र दौड़ाएं तो ज़्यादातर मामलों में पीड़ित पक्ष अल्पसंख्यक ही नज़र आएगा।
ऐसे में बहुसंख्यक समुदाय ख़तरे में है यह मानना उचित नहीं होगा। तो फिर क्या यह मान लिया जाए कि यह खतरा धर्म को नहीं बल्कि सियासत को है। उस सियासत को जो धर्म की आड़ में फल-फूल रही है। धार्मिक अन्माद को बढ़ावा देकर कई राज्यों में सत्ता पर काबिज़ हो रही है।