स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कांग्रेस की दो दिग्गज महिला नेता सुप्रिया श्रीनेत और शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आप चिन्मयानंद के बारे में कुछ क्यों नहीं करते हैं? मैंने कहा हम तो करते हैं, भाजपा नहीं करती है। लेकिन ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है, कहीं पर दुख है, शोक है, एक पीड़िता है, एक औरत है जिसने कहा है कि मेरा एक-डेढ़ साल तक यौन शोषण हुआ। उसने हिम्मत दिखाई कि वो बाहर आकर उस मामले में बोल रही है, उसने सेक्शन 164 के अंदर मेजिस्ट्रेट के सामने बयान तक दिया है। 11 घंटे उससे पूछताछ हुई है, उसके पिता से पूछताछ हुई है, लेकिन जो आरोपी है, वो खुला घूम रहा है। मैं ये इसलिए कह रही हूं क्योंकि अगर आप कोई भी डेटा उठा कर देखेंगे, एक 2006 का लास्ट नेशनल क्राईम ब्यूरो का डेटा है, जिसके अनुसार सिर्फ 29 प्रतिशत रेप केसिस रिपोर्ट किए जाते हैं, 70 प्रतिशत से अधिक रेप केस अनरिपोर्टेड रह जाते हैं। अभी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने बोला कि 99 प्रतिशत रेप केसिस अनरिपोर्टेड़ जाते हैं। तो तारीफे काबिल है कि किसी ने कोई हिम्मत दिखाई कि उसने बाहर आकर इस रेप के बारे में बात की, क्योंकि ये रेप चार्जिस बहुत शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ है। होता क्या है कि वो आज हार कर, दुखी होकर, परेशान होकर कहती है कि मैं आत्मदाह कर लूं, क्या तब मेरे केस पर कार्यवाही होगी, क्या मैं अपने ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जला लूं, क्या तब मेरे केस पर कार्यवाही होगी?
एसआईटी का गठन जो हुआ था, जो कोर्ट मॉनिटर्ड एसआईटी है, नीरज अरोड़ा जिसके हैड हैं, आईजी उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं, उन्होंने बड़े दमखम के साथ कहा कि मैं अपनी बात को न्यायालय को बताऊंगा, मैं मीडिया ट्रायल से भयभीत होने वालों में से नहीं हूं। अच्छी बात है, मत भयभीत होईए, लेकिन ये जरुर याद रखिएगा कि इसी योगी सरकार ने दिसंबर 2017 में पूरी कोशिश की थी कि चिन्मयानंद के खिलाफ जो 2011 का रेप मामला है, वो वापस ले लिया जाए। वो तो चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने बड़े दमखम से कहा कि ये केस वापस नहीं लिया जा सकता है। मैं निष्पक्षता पर टिप्पणी नहीं कर रही हूं, लेकिन ये उसी उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस अधिकारी हैं, जो इस एसआईटी के हैड हैं, आप खुद इस पर अपना निष्कर्ष और अपना केस बना सकते हैं। उस पीड़िता से 11 घँटे पूछताछ होती है, उसके पिता को जिला अधिकारी तक कहता है कि किसके खिलाफ एफआईआर करा रहे हैं, लेकिन आरोपी के खिलाफ ना एफआईआर हुई है, ना गिरफ्तारी हुई है। वो दस्त के बहाने अपने घर पर और अब एक वार्ड में एडमिट हो जाते हैं।
क्यों प्रधानमंत्री तितली उडाते हैं लेकिन इस बात पर चुप हैं? क्यों गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं कि हमें औरतों का संरक्षण करना चाहिए और क्यों चिन्मयानंद मामले पर चुप हैं? क्या उन्होंने उन्नाव केस से कोई सबक नहीं सीखा था, अंततोगत्वा उनको सेंगर को अपनी पार्टी से निष्कासित करना पड़ा था, क्योंकि आप लोगों ने पुरजोर तरीके से उस मामले में लड़ाई लडी थी। क्यों इस मामले पर आज सब चुप हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि सबूत से, विटनेस से छेड़छाड़ की बात होती है।