आर्थिक मंदी की दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर कहा है कि हमें स्वीकार करना होगा कि जब अर्थव्यवस्था के आंकड़ों की गणना का फॉर्मूला बदला गया था तो जीडीपी अपने आप 2 प्रतिशत बढ़ गई। लेकिन आंकड़े ये कहते हैं कि इस समय बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। मैक्रोइकनॉमिक माहौल को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
सचिन पायलट ने आगे कहा कि आज हर सेक्टर में मंदी है। निवेशकों का आत्मविश्वास गिर गया है, एनपीए ऊपर चला गया है, बैंक लोन नहीं दे रहे हैं, रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं, कारखाने बंद हो गए हैं।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ”हमें स्वीकार करना होगा कि जब अर्थव्यवस्था के आंकड़ों की गणना का फार्मूला बदला तब जीडीपी अपने आप 2 फीसदी बढ़ गई थी। आंकड़े कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। वृहद आर्थिक वातावरण को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।”
बता दें कि इससे पहरे सचिन पायलट ने कहा था कि देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। विकट हालात से निपटने के लिए सरकार को सभी को साथ लेकर इससे उभरने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने केंद्र की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को बने हुए 100 दिन हो गए हैं, बेहतर होता कि वह सारे काम छोड़कर नौजनवानों को रोजगार के लिए रणनीति बनानी चाहिए।
मालूम हो कि सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत में कुछ खींचातानी देखने को मिल रहा, दोनों गुट से अलग अलग बयान सुनने को मिल रहे हैं। हालांकि दोनो सीनियर नेताओं ने एक दूसरे को लेकर कुछ बोला नहीं लेकिन जबसे गहलोत ने बसपा के छह विधायकों को अपने पाले में लाए हैं तब से दोनों गुट में तनाव का माहौल है।