नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर हिंदू युवा वाहिनी द्वारा की गई हिंसा पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस हिंसा के लिए बीजेपी और राज्य की योगी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। कन्हैया ने अपनी फ़ेसबुक वॉल पर लिखा, “जब हिंसा करने वालों को भरोसा हो जाता है कि उनका बाल भी बाँका नहीं होगा तभी वे कैंपस में पूर्व उपराष्ट्रपति के मौजूद होने के दौरान भड़काऊ नारे लगाने और हिंसा करने की हिम्मत जुटा पाते हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जो हुआ उसे शर्मनाक घटना के रूप में देखे जाने के साथ-साथ हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी चेतावनी के तौर पर भी देखा जाना चाहिए। हिंदू युवा वाहिनी के जिन लोगों ने भड़काऊ नारे लगाए वे एक पुलिसवाले के साथ कैंपस में घुसे थे। पुलिस ने उन लोगों का विरोध करने वाले विद्यार्थियों पर ही लाठीचार्ज कर दिया”।
उन्होंने लिखा, “जहाँ तक जिन्ना की तस्वीर का सवाल है तो पहली बात यह है कि जो मुसलमान जिन्ना को अपना नेता मानते थे वे 1947 में ही भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। फिर आज मुसलमानों से पाकिस्तान और जिन्ना का हिसाब माँगना गलत है। इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि सावरकर के चेले जिन्ना के बहाने हिंदू-मुस्लिम के बँटवारे का खेल खेलना चाहते हैं। आप सबको याद होगा कि आडवाणी जी पाकिस्तान में जिन्ना के मजार पर उन्हें धर्मनिरपेक्ष बोलकर आए थे।
सिंध प्रांत में हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने मिलकर सरकार बनाई थी”। आरएसएस के हीरो कहे जाने वाले वीर विनायक दामोदर सावरकर पर निशाना साधते हुए कन्हैया ने लिखा, “सावरकर और जिन्ना, दोनों नास्तिक थे और दोनों ने भारत के बँटवारे का समर्थन किया था। आज फिर सावरकर को मानने वाले लोग 1938 में लगी तस्वीर के नाम पर एएमयू और देश को बाँटना चाहते हैं। जिन्ना की तस्वीर एएमयू और आडवाणी का दिल, इन दोनों जगहों से हटनी चाहिए।
वैसे सावरकर की तस्वीर संसद के सेंट्रल हॉल में क्यों लगाई गई? जिन्ना के साथ सावरकर ने भी भारत के विभाजन की बात कही थी। उन दोनों ने साथ मिलकर सिंध प्रांत में सरकार बनाई। तब भी वे हिंदू-मुस्लिम खेल रहे थे और अब भी वही कर रहे हैं”। नफ़रत की राजनीति के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हुए कन्हैया ने लिखा, “भाजपा ने जनता को डर दिखाया पाकिस्तान का और निशाना साधा अपने ही देश के कैंपसों पर। जेएनयू, बीएचयू, एचसीयू आदि पर हो रहे हमलों के बाद अब एएमयू के साथियों को लगातार परेशान करने की कोशिशें की जा रही हैं। अगर उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे कैंपसों को चुप करा देंगे वो बहुत ग़लत सोच रहे हैं।
एएमयू के शिक्षकों के संगठन ने अपने विद्यार्थियों पर हुए हमले की आलोचना करते हुए दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग है। देश के हर प्रगतिशील व्यक्ति की यही माँग है। एकजुट होकर ही हम ऐसे हमलों का सामना कर पाएँगे”। उन्होंने लिखा, “यूपी की बोर्ड परीक्षाओं में 150 स्कूलों के सभी विद्यार्थी फेल हो गए हैं। अपनी ऐसी नाकामियों पर परदा डालने के लिए हिंदू-मुस्लिम विवाद का सहारा लेने वाली सरकार चाहे लाख कोशिशें कर ले, हम सही सवाल उठाना जारी रखेंगे”।