जीशान अहमद खान
इलाहाबाद का नाम जब हम सुनते हैं तो सबसे पहले हमारे ज़हन में एक बात आती है वो है- “तीन नदियों का संगम” और छात्रों-नौजवानों के जहन में आता है “इलाहाबाद विश्विद्यालय”…..
इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने आपमें ही एक इतिहास है, इसे हम नेताओं की नर्सरी कहते हैं। यहां से तमाम ऐसे नेता पैदा हुए जिन्होंने ने छात्र राजनीति से चल राष्ट्रीय पटल पर नाम कमाया। सितम्बर 23, 1887 में स्थापित यह विश्वविद्यालय कोलकाता, मुम्बई और मद्रास विश्वविद्यालय के बाद भारत का चौथा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है।
इलाहाबाद में एक केंद्रीय कॉलिज को आखिरकार एक विश्वविद्यालय में विकसित करने की कल्पना का श्रेय संघ प्रांतों के तत्कालिन उप राज्यपाल सर विलियम मुइर को जाता है। उनकी कोशिशों से ये संभव हो पाया, सेंट्रल कॉलिज की आधारशिला महामहिम लॉर्ड नोर्थब्रूक के कर कमलों द्वारा 9 दिस्मबर, 1873 में रखी गई थी।
विश्वविद्यालय से निकले हिन्दुस्तानी सियासत के चमकते सितारे
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की मारूफियत और कामयाबी का मुख्य कारण इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र संघ है, इविवि का छात्रसंघ एशिया का सबसे पुराने छात्रसंघ में से एक है। इसकी स्थापना 1921 में हुई। 1923 में सबसे पहले एसबी तिवारी अध्यक्ष चुने गए। 1949 अध्यक्ष चुने गए विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के आठवें प्रधानमंत्री बने। विश्वविद्यालय छ़ात्रसंघ के पदाधिकारी रहे चंद्रशेखर भी प्रधानमंत्री बने। गुलजारी लाल नंदा विश्वविद्यालय के महामंत्री रहे जो कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रहे दिवंगत भाजपा नेता मदनलाल खुराना ने भी इविवि की राजनीति की थी।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री सूर्य बहादुर थापा ने इस विश्वविद्यालय में कई सालों तक छात्र राजनीति की। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक भी इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे। पंडित मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन, यूपी के मुख्यमंत्री रहे पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, संघ प्रमुख राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मप्र के मुख्यमंत्री हरे अर्जुन सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री रहे एसएन सिन्हा, और संविधानविद सुभाष कश्यप भी इविवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं।
इन सारे लोगों को देखने के बाद हम आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कोख ने कितने नेता पैदा किए, जिसने ना सिर्फ देश का नाम रोशन किया बल्कि विदेशों में भी इनका डंका बोलता रहा। आज विश्वविद्यालय में छात्रसंघ को बंद किया जा रहा है, जिसका विश्वविद्यालय के छात्र व छात्र नेता विरोध कर रहे हैं…….इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि युनिवर्सिटी प्रशासन सिर्फ़ केन्द्र सरकार और संघ के इशारे पर चल रही है। और केन्द्र सरकार देश के तमाम संवैधानिक संस्थाओं पर हमला कर रही है चाहे वह JNU का मसला या फिर हैदराबाद युनिवर्सिटी का रोहित वेमुला का मामला हो, इसी तरह केन्द्र सरकार ने धर्म के नाम पर एएमयू में उन्माद फैलाया अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय को अपना सेंटर बनाया है क्योंकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने SSC का पेपर लीक होने पर विरोध किया था।