मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश देने की इजाजत देने की मांग वाली अखिल भारतीय हिंदू महासभा, केरल इकाई की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप इस मामले से कैसे प्रभावित है।
आप पीड़ित पक्ष को आने दीजिए। इस मसले पर मुस्लिम महिला आती है तो उनकी याचिका पर विचार किया जा सकता है। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में मुस्लिम समाज में व्याप्त पर्दा सिस्टम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
इस मामले में दायर याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘आप कौन हैं? आप कैसे प्रभावित हैं? हमारे सामने पीड़ित पक्ष को आने दीजिए, इसके बाद अदालत विचार कर सकती है।’ दरअसल, अखिल भारतीय हिंदू महासभा की केरल इकाई की इस याचिका में कहा गया था कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर रोक उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि इस बारे में बाकायदा निर्देश जारी निर्देश जारी करें।
केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने जब जजों के सवाल का जवाब मलयालम भाषा में देने का प्रयास किया तो पीठ ने कोर्ट कक्ष में मौजूद एक अधिवक्ता से इसका अनुवाद करने को कहा। जिसके बाद अधिवक्ता ने पीठ के लिए अनुवाद करते हुए कहा, स्वामी याचिकाकर्ता हैं और उन्होंने केरल हाईकोर्ट के 11 अक्टूबर 2018 के फैसले को चुनौती दी है।
इस पर पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि इस याचिका पर सुनवाई से पहले ही मीडिया में खबरें थी और ये प्रायोजित याचिका लगती है जिसका मकसद सस्ता प्रचार पाना है। पीठ ने कहा कि हमें हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आती है, लिहाजा ये याचिका खारिज की जाती है।