गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि को और बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा है। अमित शाह ने लोकसभा में कहा, “मेरा प्रस्ताव है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए। बता दें कि 9 दिसंबर 2018 को राज्यपाल शासन की अवधि खत्म हो गई थी और फिर धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया था। अब 2 जुलाई को 6 महीने का राष्ट्रपति शासन का अंतराल खत्म होने जा रहा है।
इसके अलावा लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग ने इस साल के आखिर में चुनाव कराने का फैसला करेंगे और इस बारे में सूचित कर दिया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था।
प्रस्ताव का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि आज हालत यह हो गई है कि हमें हर 6 महीने में जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह 2015 में पीडीपी और बीजेपी के बीच अलायंस में छिपी है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ आपकी कड़ी नीति है तो हम इसका विरोध नहीं करते हैं लेकिन आपको यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों।
इसके अलावा कांग्रेस सांसद ने कहा कि आरक्षण के प्रस्ताव का विषय विधानसभा के अधिकार में आता है और इस विधेयक को लाने का हक विधानसभा का होना चाहिए। सीमा पर रहने वाले लोगों का दर्द हम समझते हैं और आरक्षण पर हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसके तरीके पर आपत्ति जरूर है।