नई दिल्ली: संप्रदाय विशेष के नागरिकों पर कथित अराजक समूह द्वारा हमलों के विरोध में बुधवार की शाम सामाजिक संगठनों ने दिल्ली लखनऊ समेत देश के 50 शहरों में विरोध प्रदर्शन किया।
जिसमें आंदोलनकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि भारत सरकार राज्य सरकारों के सहयोग के साथ मिलकर ‘मॉब लिचिंग’ पर कानून बनाये मगर सरकारें का इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं।परिणाम स्वरूप देश में ‘मॉब लिंचिंग की घटनाएं तेज़ी से बढ़ रही हैं ! कभी गाय, कभी बच्चा चोरी, कभी लवजिहाद के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कहा कि यह ‘शर्मनाक’ है कि विपक्ष को इस जघन्य घटना के बारे में बोलने के लिए एक सप्ताह का समय लग गया.
अमीक जामेई ने कहा की देश में दलितों के साथ फिर अल्पसंख्यको के साथ मॉबलिचिग बढ़ी है। फिर वज़ीरआजम सबका विश्वास जीतने की झूठी बात कर रहे हैं। मुँह में राम बगल में छुरी रखकर सरकार नही चल सकती। प्रदेश में दलित पिछडे व मुसलमानो के एंकाउटंर हो रहे हैं।
पत्रकार उबैदुल्लाह नासिर ने कहा कि मॉब लॉन्चिंग का यह तरीक़ा दर असल हिटलर की नाज़ी पार्टी के लम्पटों की नक़ल है यह लोग जर्मनी में यहूदियों को इसी तरह सड़क पर चलते छेड़ कर मारते थे इस से पहले पूरी सरकारी मशीनरी और मीडिया यहूदियों को उसी तरह बदनाम करने की मुहीम चलाती थी जैसे आज भारत में संघ परिवार सरकारी मशीनरी और मीडिया चला रही है।
अंसारी की हत्या के दो दिनों के बाद ही एक मौलवी को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हिन्दू देवी देवता संबंधित नारे नहीं लगाने पर भीड़ ने चलती ट्रेन से धकेल दिया था.
पीटीआई के मुताबिक मॉब लिंचिंग के विरोध में सामाजिक संगठनों ने लखनऊ के घंटाघर हुसैनाबाद में भी प्रदर्शन किया.
आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने कहा कि भीड़ की इस हिंसा पर सत्ताधीशों की निर्लज्ज चुप्पी चिंता का विषय है। माब लिंचिंग की घटनाओं के आरोपियों को सत्ता में बैठे लोग सम्मानित कर रहे हैं।
इस मामले में अबतक आठ ग्रामीणों को पकड़ा गया है. मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित की गई है.