महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान के साथ दबाव की राजनीति जारी है। चुनाव नतीजे के बाद से ही शिवसेना ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सरकार बनाने पर अड़ी है। जबकि बीजेपी विधायकों के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी होने का हवाला देते हुए इस फॉर्मूले पर सहमत नहीं है। सोमवार को बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात की थी।
बुधवार को 4 निर्दलीय विधायक, मंजुला गावित, चंद्रकांत पाटिल, आशीष जायसवाल और नरेंद्र भोंडेकर ने शिवसेना को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू कडू और राजकुमार पटेल, क्रांतिकारी शेतकरी पार्टी के शंकरराव गडक ने भी अपना समर्थन दिया है। इस तरह शिवसेना को 7 और विधायकों का समर्थन है। उनके समर्थन के बाद शिवसेना के पाले में विधायकों का आंकड़ा 62 पर पहुंच गया है।
बता दें कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा उसकी सहयोगी पार्टी शिवेसना को 56 सीटें मिली हैं। अगर दोनों पार्टियां चाहें तो आराम से सरकार बना सकती हैं। दोनों के आंकड़े को मिला दें तो 161 सीटें होती हैं। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ता ही चला जा रहा है।
शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव के समय जिस 50-50 फॉर्मूले पर बात यह हुई थी उसे लागू किया जाए तभी बात बनेगी। यानी ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री हो और ढाई साल बीजेपी का मुख्यमंत्री हो। बीजेपी और सरकार पर दबाव बनाने के लिए सामना के जरिए शिवसेना लगातार हमला कर रही है।