इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने बुधवार को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। इसके तहत देशभर के 3 लाख से अधिक डॉक्टर अस्पतालों की ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे। असोसिएशन का यह विरोध नैशनल मेडिकल काउंसिल बिल 2019 को लेकर है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बिल मेडिकल क्षेत्र के लिए उचित नहीं है और इससे कई तरह की चुनौतियां सामने आएंगी।
देशव्यापी हड़ताल को देखते हुए महाराष्ट्र के 44 हजार डॉक्टर भी हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में हड़ताल के कारण राज्य में मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि आईएमए ने कहा कि हड़ताल के दौरान केवल गैरजरूरी मेडिकल सेवाओं को अटेंड नहीं किया जाएगा, जबकि हर तरह की इमर्जेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। आईएमए से मिली जानकारी के अनुसार, विरोध के मद्देनजर बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक सदस्य डॉक्टर ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे।
डॉक्टरों का कहना है कि इस बिल में काफी खामियां हैं। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन ने बताया कि इस बिल से ना सिर्फ नीम हकीमों को वैद्यता मिलेगी बल्कि लोगों की जान भी खतरे में पड़ेगी। लिहाजा हम लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं।जिसकी वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि आईएमए ने साफ किया है कि हड़ताल के दौरान गैरजरूरी सेवाओं को नहीं मुहैया कराया जाएगा।
बता दें कि लोकसभा ने सोमवार को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019 को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को 17 जुलाई के दिन मंजूरी दी थी। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि विधेयक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है। चिकित्सा आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों के लिए सभी शुल्कों का नियमन करेगा।