नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2016 में अचानक देश में नोटबंदी की घोषणा कर दी थी। जिसके कारण 500 और 1000 के नए नोट चलन से बाहर हो गए थे। इसी बीच मोदी सरकार ने 2000 रुपए की मूल्यवर्ग के करेंसी नोट देश में शुरू किया था। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि, 2000 नोट लगातार बाजार से गायब हो रहा है। इसी बीच जनवरी में ऐसी खबरें आई थीं कि, रिजर्व बैक ऑफ इंडिया (RBI)ने 2000 के नोटों की छपाई भी बंद कर दी है।
दि प्रिंट में छपी खबर के मुताबिक, विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के कारण मौजूदा कमी उच्च मूल्य के नोटों की बढ़ती जमाखोरी के हो सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, 2,000 रुपये के करेंसी नोटों का सर्कुलेशन नाटकीय रूप से गिरा है, लेकिन आपूर्ति में कमी आई है, लेकिन मौजूदा बैंक नोट जो पहले से ही सिस्टम में हैं, उसका भी आदान-प्रदान नहीं हो रहा है।
बैंक के अधिकारी ने कहा कि, यह आम तौर पर चुनावों के दौरान होता है, लेकिन हम नागरिकों द्वारा बेहिसाब नकदी जमा करने से इनकार नहीं कर सकते हैं। हालांकि, RBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, वैसे नकदी की कोई कमी नहीं है। केंद्रीय बैंक अधिकारी ने कहा कि मांग को ध्यान में रखते हुए, हमारा ध्यान कम मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की आपूर्ति पर केंद्रित है और जिसमें 200 रुपये के नोट भी शामिल हैं। एटीएम रिकैलिब्रेशन अभ्यास चल रहा है और बैंक इसकी निगरानी कर रहे हैं।
फरवरी में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की इकोप्रैप रिपोर्ट से पता चला था कि उच्च मुद्रा नोट(2000 की करेंसी) अभी भी मांग में थे। इसमें कहा था कि जनवरी के मध्य तक लगभग 78 प्रतिशत मुद्रा 2,000 और 500 रुपये के उच्च मूल्य वाले बैंकनोट की प्रचलन में थे। एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसी संभावना थी कि, उच्च मूल्यवर्ग / 2,000 रुपये की मुद्रा अर्थव्यवस्था में पर्याप्त रूप से परिचालित नहीं हो रही है। दो शीर्ष निजी क्षेत्र के बैंक के अधिकारियों के मुताबिक, मुद्रा बास्केट में उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोटों का अनुपात और गिर गया है।