सच बोलने की कीमत चुका रहे नसीरुद्दीन शाह, अब दक्षिणपंथियों के विरोध के चलते उनके कार्यक्रम को रद्द किया गया एक्टर नसीरुद्दीन शाह को अब सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ रही है। मॉब लिंचिंग पर उनके हालिया बयान को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। दक्षिणपंथियों के विरोध के बाद अजमेर साहित्य महोत्सव के आयोजकों ने उनके कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। इस कार्यक्रम में शाह को संबोधन करना था। ख़बरों के मुताबिक, शाह को यहां तीन दिवसीय महोत्सव के पांचवे सत्र में एक कार्यक्रम को संबोधित करना था। कार्यक्रम के पहले अनेक दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

एक प्रदर्शनकारी ने नसीरुद्दीन शाह के पोस्टर पर स्याही भी फेंक दी। महोत्सव के संयोजक रास बिहारी गौर ने कहा, ‘शाह को कार्यक्रम का उद्घाटन करना था लेकिन उनके बयान के बाद कुछ स्थानीय लोगों के विरोध के चलते वह आ नहीं सके।’ बताया जा रहा है कि शाह शुरुआती सत्र में अपनी पुस्तक का विमोचन भी करने वाले थे। लेकिन विरोध के चलते इसे रद्द कर दिया गया। कार्यक्रम शुक्रवार को शुरू हुआ और रविवार को समाप्त होगा। नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में हुई बुलंदशहर हिंसा पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा था कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। उनका कहना ता कि ज़हर अब इतना फैल चुका है कि इसे रोक पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा था कि जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है।

कई क्षेत्रों में हम यह देख रहे हैं कि एक गाय की मौत एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा अहम है। उन्होंने यह बातें कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया को दिए इंटरव्यू में कही थीं। उनके इस बयान के बाद दक्षिणपंथी संगठनों, फिल्म एक्टरों और बीजेपी के कई नेताओं ने ऐतराज़ जताया था। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उन्हें गद्दार करार देते हुए पाकिस्तान जाने की सलाह तक दे डाली थी। इस तरह की ‘डर’ वाली खबरें देश के विभिन्न हिस्सों से भी आती हैं। क्या उनका ‘डर’ नसीर के डर से जुदा है? नहीं ये वही डर है जो नसीर ने ज़ाहिर किया है। बस इतना फ़र्क़ है कि आम आदमी का ज़ाहिर किया गया डर हवा में उड़ा दिया जाता है, बड़े आदमी के डर को लपक लिया जाता है और उस से अपना साम्प्रदायिक एजेंडा चला दिया जाता है।