उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास को भारतीय रिज़र्व बैंक का नया गवर्नर बनाया है। इससे पहले वह आर्थिक मामलों के सचिव रह चुके हैं और मौजूदा समय में वित्त आयोग के सदस्य थे।
आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किए जाने के बाद शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो प्रोफेशनल तरीके से काम करेंगे। आरबीआई के मूल्यों, विश्वसनीयता और स्वायत्तता को बनाए रखने की कोशिश करेंगे।
बता दें कि 63 वर्षीय शक्तिकांत 1980 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस हैं। मई 2017 में वो रिटायर हो गए थे। जिसके बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का मेंबर बनाया था।
शक्तिकांत राजस्व और आर्थिक मामलों के सचिव जैसे बड़े पदों पर रह चुके हैं। मोदी सरकार के 2 बड़े फैसलों नोटबंदी और जीएसटी में उनकी अहम भूमिका थी। नोटबंदी पर उन्होंने सरकार का बचाव किया था।

शक्तिकांत को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किए जाने पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शक्तिकांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सेवक बताते हुए कहा है कि मोदी सरकार इस तरह की नियुक्ति कर आरबीआई को बर्बाद कर देना चाहती है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “आरबीआई गवर्नर नियुक्त किए जाने के लिए शक्तिकांत दास की मुख्य योग्यता यह है कि वह नोटबंदी के समय मोदी के मुख्य प्रवक्ता थे और उन्होंने इसका ज़ोरदार बचाव किया था। ऐसे सेवकों की नियुक्त से पता चलता है कि सरकार आरबीआई को तबाह कर देना चाहती है और हर संस्थान में अपने सेवक बैठाना चाहती है”।
बता दें कि सोमवार को आरबीआई के गवर्नर उर्जीत पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया, जिसके चलते मोदी सरकार को विपक्ष के हमले का सामना करना पड़ा।

विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार के दबाव की वजह से उर्जित पटेल को इस्तीफा देना पड़ा, जो कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरनाक है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने तो आरबीआई गवर्नर के इस्तीफे को आर्थिक आपातकाल बताया।
हालांकि उर्जित पटेल ने अपने इस्तीफे के पीछे की वजह निजी कारण बताए। लेकिन केंद्र सरकार से आरबीआई की तनातनी के बीच इस्तीफे की ख़बर सवाल तो खड़े करती है।