राफेल डील को लेकर हुए नए खुलासे के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के बचाव का मोर्चा संभाल लिया है। रक्षा मंत्री ने सरकार का बचाव करते हुए ख़ुलासा करने वाले अख़बार ‘द हिंदू’ की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘उस ख़बर में रक्षा सचिव द्वारा उठाए गए मुद्दे के जवाब में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की टिप्पणी को भी शामिल किया जाना चाहिए था।’ उनके मुताबिक, ख़बर एकतरफ़ा है, जिसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री की टिप्पणी को शामिल नहीं किया गया है और परिप्रेक्ष्य से काट कर लिखा गया है।’

ऐसा पहली बार नहीं है जब सरकार ने किसी मामले में फंसने के बाद उसपर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट को ही कटघरे में खड़ा कर दिया हो। इससे पहले मोदी सरकार ग़रीबी, बेरोज़गारी और महिला सुरक्षा को लेकर पेश की गई कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर चुकी है।
रक्षा मंत्री ने ख़बर छपने के फ़ौरन बाद ही इसपर सवालिया निशान लगाकर यह तो साफ़ कर दिया है कि वह इस मामले को हल्का करना चाहती हैं। लेकिन रक्षा मंत्री के इन आरोपों का ‘द हिन्दू’ समूह के अध्यक्ष एन राम ने जवाब देकर उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया है।
एन राम ने सीतारमण की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा, ‘यह ख़बर अपने आप में पूरी है। इसमें मनोहर पर्रिकर की टिप्पणी देने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनकी भूमिका के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। पर्रिकर की भूमिका की अलग जांच की ज़रूरत है।’
इसके साथ ही एन राम ने सीतारमण को सलाह देते हुए कहा, ‘मैं उन्हें सलाह देना चाहूंगा कि आप रफ़ाल सौदे के लेन-देन में नहीं थीं, उसे उचित ठहराने का बोझ क्यों उठाई हुई हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मामले में फंस चुकी है, इसलिए मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
क्या है ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट में

अंग्रेज़ी अखबार ‘द हिंदू’ की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से ‘समांतर बातचीत’ में लगा था। अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई।
रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए।