आज के दौर में पत्रकारिता केवल सरकार का भोपू बन चुकी है. व्ही कहती लिखती है जो सर्कार लिखवाना चाहती है। पत्रकारिता के दौर में शायद ये अपने आप में काफी शर्मनाक बात है की मीडिया अपने कर्तव्यों को त्याग कर केवल सरकार चाटुकारिता ज़िम्मा उठा चूका है। मीडिया ही नहीं आम लोग भी अब हिंदुत्व के ठेकेदारों के बहकावे में आकर अपने व्रतमान ,भविष्य को भी दांव पर लगा रहे है।
तस्सवुर कीजिए, आप रात के 9 बजे से निकले हैं, किराने की दुकान बंद होने वाली है. घर में शक्कर ख़त्म हो गयी है. सुबह की फीकी चाय आपके कदमों में वो जान देती है कि आप उस दुकान के बंद होने से पहले फास्ट वॉकिंग का ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत सकते हैं.लेकिन तभी एक महंगी नारंगी स्पोर्ट्स कार लहराती हुई सड़क पर आपसे बस टकराते-टकराते बचती है. आप पीछे पलटते हैं और वो कार आपके पीछे एक 15 साल के युवक को उड़ा देती है. एक सेकेंड में वो लड़का आपकी आंखों के सामने मर जाता है.
स्पोर्ट्स कार में से एक 20 साल का युवक निकल के भागता है. आप उसकी आंखों में आंखे डालकर, 1 पल के लिए उसका चेहरा साफ़ देखते हैं. उसका चेहरा अब आपकी आंखों में बस चुका है. मुबारक हो! अब आप इस अपराध के अकेले चश्मदीद गवाह हैं.कुछ दिनों में सारी गुत्थियां खुलनी शुरू होती हैं. वो लड़का जो मरा, अपने दसवीं के बोर्ड्स के रिजल्ट्स का इंतज़ार कर रहा था. आज रिजल्ट आया है, उसके 92% मार्क्स आए है. उसका बाप एक ऑटो रिक्शा चलाता है.वहीं, वो लड़का जो कार चला रहा था, एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री के मालिक का बेटा है. आपके पास फोन आने शुरू हो गए हैं. एक फोन कलेक्टर का, 10-12 वकीलों के, एक किसी पुलिस अफसर का और एक हमारे प्यारे स्थानीय एमएलए साब का. सब का कहना है कि बच्चे से ग़लती हो गयी थी, 20 साल का है, जेल हो गयी तो ज़िंदगी खराब हो जाएगी.एक दिन वो अमीर लड़का भी आपको आपके ऑफिस के बाहर पकड़ लेता है. आपके पैरों में गिरकर रोने लगता है. आप बुरी तरह से कशमकश में फंसे हैं. पर अब भी हम मूल मुद्दे पर नहीं पहुचे हैं. वो अब आएगा.
फिर एक दिन आपके घर, उस लड़के का बाप आंखों में आंसू और बैग में 50 लाख रुपये लिए आ जाता है. गुज़ारिश बस इतनी-सी कि कोर्ट में कुछ नहीं बोलिएगा. और आपको पता चलता है आपकी ‘चुप्पी की कीमत’ 50 लाख रुपये है…
वो लोग, जो कहते अंग्रेजी में कहते थे कि ‘साइलेंस इस गोल्ड’, सही कहते थे क्योंकि आपकी चुप्पी सोने से भी महंगी है. अब ये महंगी है या महंगी पड़ती है, इसका फैसला आप इस लेख के खत्म होने के बाद कीजियेगा.
25 मई को कोबरापोस्ट ने करीब-करीब सारे मीडिया घरों पर किए स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो जारी किए. इस स्टिंग ऑपरेशन में मीडिया के कई बड़े मीडिया घरानों के नाम शामिल हैं. इल्ज़ाम है कि ये सब लोग ‘हिंदुत्व’ का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए, पैसे लेकर कुछ भी करने को तैयार हैं.