केंद्र की मोदी सरकार ने 61 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चों को इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं करने का फैसला किया है। 1957 से इन बच्चों को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल किया जाता रहा है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने इसकी वजह इन पुरस्कारों को आयोजित करवाने वाली संस्था इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (आईसीसीडब्ल्यू) पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगना बताया है।

हालांकि संस्था का कहना है कि सरकार ख़ुद पुरस्कार देना चाहती है, इसलिए संस्था को मना कर दिया।
इससे पहले वित्तीय अनियमितता के आरोपों के चलते महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने खुद को इस आईसीसीडब्ल्यू से अलग कर लिया था। मंत्रालय के अलग होने के बाद इस योजना को बदला जा रहा है और अब इसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के अंतर्गत लाया गया है। इसमें पुरस्कार के लिए 5 श्रेणियों में 26 बच्चों का चयन किया गया है।
बता दें कि साल 1957 से ही आईसीसीडब्ल्यू देशभर में बहादुरी का काम करने वाले बच्चों के नामों का चयन करते हुए पुरस्कार देती थी। इसमें केंद्र सरकार सहयोग करती थी और गणतंत्र दिवस की परेड में उक्त बहादुर बच्चों को शामिल किया जाता रहा है।

पिछले 61 सालों में 963 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। सरकार की ओर से गणतंत्र दिवस परेड से पहले होनहार बच्चों को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिलता था। लेकिन इस साल इन बच्चों को परेड में शामिल नहीं किया जाएगा।
इन बच्चों को परेड का आमंत्रण न मिलने पर आईसीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने कहा है कि सरकार खुद पुरस्कार देना चाहती है, इसलिए हमें इनकार कर दिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय गड़बडियों के आरोप निराधार हैं। परिषद ने जिन दो सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की थी, वही बदले की भावना से प्रेरित होकर अदालत चले गए हैं और मामला अभी अदालत में है।